- चक्रधरपुर मंडल में शुरू हुआ इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम का ट्रायल
आशीष कुमार वर्मा
चक्रधरपुर। रेलवे ट्रैक पर हाथियों की बढ़ती मौतों को रोकने के लिए दक्षिण पूर्व रेलवे ने अनूठी पहल की है। एक बड़ा और तकनीकी रूप से उन्नत कदम उठाया है। चक्रधरपुर रेल मंडल के एलीफैंट जोन क्षेत्रों में अब हाथियों की मौजूदगी की जानकारी ट्रेन पायलट और कंट्रोल रूम को समय रहते मिल सकेगी। इस दिशा में पहल करते हुए रेलवे ने दो हाथियों को विशेष ट्रायल के लिए चक्रधरपुर लाया है।
गुजरात से बीती रात एनिमल एंबुलेंस के माध्यम से लाए गए इन दोनों हाथियों को फिलहाल चक्रधरपुर के रेलवे एलपी स्कूल परिसर में रखा गया है। इनके माध्यम से यह परखा जाएगा कि रेलवे द्वारा तैयार किए जा रहे इंट्रूशन डिटेक्शन सिस्टम (IDS) की प्रभावशीलता कितनी है।
इस अत्याधुनिक प्रणाली में प्रेशर वेव्स तकनीक, ऑप्टिकल फाइबर केबल्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एल्गोरिदम का प्रयोग किया गया है। यह सिस्टम ट्रैक के पास हाथियों के पैरों के कंपन को पहचानकर तुरंत सिग्नल भेजने में सक्षम है। हाथी के 200 मीटर के दायरे में आते ही यह सिस्टम पायलट और नजदीकी स्टेशन मास्टर को अलर्ट कर देगा, जिससे समय रहते ट्रेन को रोका जा सके।
रेलवे ने इस सुरक्षा प्रणाली पर लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उम्मीद जताई है कि इसके प्रयोग से हाथियों की मौत की घटनाओं में 99.5% तक की कमी लाई जा सकेगी। यह कदम वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
रेल प्रशासन का मानना है कि यह प्रणाली जहां एक ओर ट्रेनों की आवाजाही को सुरक्षित बनाएगी, वहीं दूसरी ओर हाथियों जैसे संरक्षित वन्यजीवों की जान बचाने में भी सहायक सिद्ध होगी।
यह पहल तकनीक और पर्यावरण संरक्षण के अद्वितीय मेल का प्रतीक है और देशभर के अन्य रेल मंडलों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।
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