पलामू। राजकीयकृत मध्य विद्यालय हुसैनाबाद के परिसर में नियमित प्रार्थना, राष्ट्रगान, सफाई के लिए संकल्प, संविधान की प्रस्तावना, जेसीईआरटी द्वारा प्रेषित न्यूज+क्विज के बाद भगवान बिरसा मुंडा की 125 वीं पुण्यतिथि 9 जून को मनायी गई।
विद्यार्थियों को बताया गया कि इनके बचपन का नाम दाउद मुंडा था। पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी मुंडा था। गुरु का नाम आनंद पांडे था। जन्म खूंटी जिले के उलीहातू गांव में हुआ था। यह एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोकनायक थे। उन्होंने बिट्रिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्त्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया। इसके कारण उन्हें प्रसिद्धि मिली।
शिक्षकों ने बताया कि बिरसा मुंडा ने भारतीय राजनीति के नभ में ध्रुव तारा की तरह सिद्धांतों पर खरा दिखे। इस नारे को बुलंद किया ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ मतलब साफ-साफ था कि हमारा देश, हमारा राज। आदिवासियों का अधिकार उनके जल, जंगल और जमीन पर रहेगा। उन्होंने रानी का राज्य समाप्त करो और अपना राज्य स्थापित करो का नारा भी दिया। अंग्रेजों के संरक्षण में पल रहे सेठ, साहूकारों के विरुद्ध भी आवाज बुलंद किया। फलतः तीन मार्च 1900 को उन्हें पकड़ लिया गया। सेन्ट्रल जेल रांची में नौ जून को सुबह ही उल्टियां होने लगी और कुछ ही क्षण में उनका निधन हो गया।
जीवन का सफर 15 नवंबर, 1875 से शुरू होकर 9 जून, 1900 तक रहा। महज 25 वर्षों की उम्र में अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से विशेष पहचान बनाया। मानव से महामानव बने। भगवान की उपाधि मिली। अंत में विद्यालय परिवार द्वारा उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी। इनके सिद्धांतों पर चलने की प्रतिबद्धता जताई गयी।
वक्ताओं में प्रधानाध्यापक कन्हैया प्रसाद, राजेश कुमार गुप्ता, जुबैर अंसारी, आशा कुमारी, सुषमा पांडेय, रश्मि प्रकाश, राजेश सिन्हा शामिल थे। बाल संसद के प्रधानमंत्री अमित कुमार और लड़कियों में नंदिनी कुमारी, जागृति कुमारी ने भी पुष्पांजलि अर्पित की।
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