श्री गुरु अर्जुन देव के शहीदी गुरुपर्व पर दो दिवसीय समागम की हुई शुरुआत

झारखंड धर्म/अध्यात्म
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  • कुलविंदर सिंह ने शबद गायन कर संगत को गुरबाणी से जोड़ा

रांची। गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा, कृष्णा नगर कॉलोनी में शनिवार के दीवान की शुरुआत शाम आठ बजे स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल द्वारा “भूले मारग जिनहि बताइआ,ऐसा गुर वडभागी पाइआ..….” शबद गायन से हुई। गुरुद्वारा के हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह ने “कर किरपा तेरे गुन गांवां…..” और “आठ पहर आराधीऐ पूरन सतगुर गिआन, दुख भंजन तेरा नाम…” शबद गायन किया।

कथावाचन करते हुए गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह ने श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत के बारे साध संगत को बताया कि गुरु अर्जुन देव जी महाराज की शहादत मुगल बादशाह जहांगीर द्वारा 30 मई,1606 को लाहौर में दी गई यातनाओं के कारण हुई थी। शहीदी के समय मिंया मीर ने गुरु अर्जुन देव जी से पूछा कि आपके शरीर पर छाले पड़ रहे हैं, इसके बावजूद आप शांत हैं। तब श्री गुरु अर्जुन देव जी ने कहा था कि जितने जिस्म पर पड़ेंगे छाले, उतने सिख होंगे सिदक वाले, यानी मेरे शरीर में जितने छाले पड़ेंगे, उतने हजारो-करोड़ों सदके वाले सिखों का जन्म होगा।

गुरुपर्व में विशेष रूप से शिरकत करने पहुंचे सिख पंथ के प्रसिद्ध कीर्तनी जत्था भाई कुलविंदर सिंह खरड़, मोहाली वाले ने रात 9.30 बजे से 11 बजे तक “गुरमुख सुख फल पिरम रस, सहज समाध साध संग जानी, गुर अर्जन विटहु कुरबाणी…..” और “ऐसे गुर को बल बल जाइए आप मुकत मोहे तारे…..” एवं “सभे जीअ समालि अपणी मिहर कर……” जैसे कई शबद गायन कर साध संगत को भक्ति के रस में डुबो दिया।

श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुकुमनामा और कढ़ाह प्रशाद वितरण के साथ दीवान की समाप्ति रात 11.30 बजे हुई। गुरु घर के सेवक पवनजीत सिंह खत्री ने कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यूट्यूब के चैनल मेरे साहिब पर किया। मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया।

सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि भाई कुलविंदर सिंह एवं साथी पुणे से इंडिगो विमान द्वारा सुबह 8.15 बजे रांची पहुंचे,जहां सत्संग सभा के मनीष मिढ़ा, सुमित बजाज, कंवलजीत मिढ़ा, ईशान काठपाल, उमेश मुंजाल, आशु मिढ़ा, कमल तलेजा, नवीन मिढ़ा एवं हैप्पी अरोड़ा ने उनका बुके भेंट कर स्वागत किया। एयरपोर्ट से उन्हें कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा साहिब ले आया गया।

आज के दीवान में सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल, सचिव अर्जुन देव मिढ़ा, सुंदर दास मिढ़ा, सुरेश मिढ़ा, हरगोबिंद सिंह, महेश सुखीजा, हरविंदर सिंह बेदी, प्रेम मिढ़ा, नरेश पपनेजा, चरणजीत मुंजाल, अशोक गेरा, हरविंदर सिंह हन्नी, लेखराज अरोड़ा, मोहन लाल अरोड़ा, नीरज गखड़, अश्विनी सुखीजा, रमेश गिरधर, सागर थरेजा, मोहन काठपाल, लक्ष्मण दास मिढ़ा, वेद प्रकाश मिढ़ा, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, हरीश मिढ़ा, इंदर मिढ़ा, रमेश पपनेजा, नानक चंद अरोड़ा, महेंद्र अरोड़ा, राजकुमार सुखीजा, बसंत काठपाल, पंकज मिढ़ा, ईशान काठपाल, लक्ष्मण अरोड़ा, पुरुषोत्तम सरदाना, अमरजीत सिंह मुंजाल, राजेंद्र मक्कड़, सुरजीत मुंजाल, नीरज सरदाना, ईशान काठपाल, किशन गिरधर, हरगोबिंद दुआ, सूरज झंडई, करण अरोड़ा, इनीश काठपाल शामिल हुए।

इसके अतिरिक्‍त कुणाल चूचरा, कमल मुंजाल, रमेश तेहरी, उमेश मुंजाल, राकेश गिरधर, मनीष मल्होत्रा, पीयूष मिढ़ा, बबली दुआ, गीता कटारिया, मंजीत कौर, शीतल मुंजाल, बंसी मल्होत्रा, हरजिंदर कौर, मनोहरी काठपाल, बलबीर मिढ़ा, खुशबू मिढ़ा, दुर्गी देवी मिढ़ा, बिमला मिढ़ा, नीता मिढ़ा, इंदु पपनेजा, रेशमा गिरधर, ममता सरदाना, मीना गिरधर, श्वेता मुंजाल, उषा झंडई, नीतू किंगर, ममता थरेजा, सुषमा गिरधर, गूंज काठपाल, किरण अरोड़ा, गीता मिढ़ा, रानी मुंजाल, गोबिंद कौर समेत अन्य श्रद्धालु भी शामिल हुए।

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