विद्यार्थियों को अब तक नहीं मिली पुस्तकें, पाठ्यक्रम समय पर पूरा होना मुश्किल

झारखंड
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रांची। राज्य के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुए लगभग 40 दिन हो चुके हैं। हालांकि अब तक लगभग 35 लाख विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। ना तो जिलों को नई किताबें प्राप्त हुई हैं और ना ही इसके वितरण की कोई स्पष्ट समय-सीमा तय की गई है। राजधानी रांची की स्थिति भी यही है, जिससे दूरस्थ जिलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। उक्‍त बातें अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कही।

श्री अहमद ने कहा कि एक अप्रैल से सत्र शुरू है। वर्तमान में छात्रों को पुरानी पुस्तकों से ही पढ़ाया जा रहा है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद को प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी सत्र 2025-26 के लिए कक्षा 1 से 8 तक के छात्र-छात्राओं के लिए लगभग 35 लाख पुस्तकों का वितरण करना है। संघ का कहना है कि ग्रीष्मावकाश से पूर्व छात्रों को पुस्तकें नहीं मिल पाएंगी। अगर बहुत प्रयास भी किए जाएं, तब भी 15 जून से पहले पुस्तकों का वितरण संभव नहीं है।

प्रवक्ता नसीम अहमद ने सवाल उठाया कि जब हर वर्ष छात्रों को पुस्तकें उपलब्ध करानी ही होती हैं, तब सत्र की शुरुआत से पहले ही इसकी तैयारी क्यों नहीं होती? शिक्षा विभाग इसके लिए कोई ठोस कार्य योजना क्यों नहीं बनाता? और हर साल होने वाली इस देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?

श्री अहमद ने आगे कहा कि यह गरीब बच्चों के साथ एक तरह का मज़ाक है। दूसरी ओर, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव ने हाल ही में आदेश जारी किए हैं कि शिक्षकों का वेतन तब जारी होगा, जब छात्रों का पाठ्यक्रम समय पर पूरा होगा। हालांकि छात्रों को अभी तक पुस्तकें भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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