मंत्री चमरा लिंडा ने आदिवासी संस्कृति और एकता के महत्व पर दिया जोर

झारखंड
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  • इंटर पड़हा जेठ जतरा में हुए शामिल

आनंद कुमार सोनी

लोहरदगा। जिले की भक्सो पंचायत में आयोजित इंटर पड़हा जेठ जतरा में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा शामिल हुए। आदिवासी संस्कृति और एकता के महत्व पर जोर दिया।

मंत्री चमरा लिंडा ने आदिवासी इतिहास, पड़हा व्यवस्था और जतरा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जेठ जतरा सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि यह वह परंपरा है। यहां आदिवासी समाज अपने नियम, कानून और संविधान खुद बनाता था। ठीक उसी तरह जैसे संसद और विधानसभा में कानून बनाए जाते हैं।

मंत्री ने कहा कि जेठ जतरा वो समय होता था जब विभिन्न क्षेत्रों से आए पड़हा राजाओं, सामाजिक अगुआगण, पाहन और पुरखा मिलकर रात भर बैठकों के माध्यम से समाज की परेशानियों पर चर्चा करते थे। इनमें खेती-बाड़ी, बाजार, धर्म-कर्म, पढ़ाई, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे उठाए जाते थे।

श्री लिंडा ने 5 पड़हा, 11 पड़हा, 21 पड़हा समेत सभी पड़हा राजाओं की ऐतिहासिक भूमिका को याद करते हुए बताया कि लोहरदगा में जेठ के महीने में लगने वाला जतरा मेला पूरे झारखंड के आदिवासी समाज को एक साथ जोड़ता था।

मंत्री ने आदिवासी शिक्षा प्रणाली ‘धूमकुड़िया’ की भी चर्चा की, जिसे आदिवासी सभ्यता और संस्कृति के क्रियान्वयन का केंद्र बताया। उन्होंने चिंता जताई कि आज समाज में वह एकता और सहयोग की भावना नहीं रही, जो पहले हुआ करती थी। इसी कारण समाज में समस्याएं बढ़ रही हैं।

मंत्री लिंडा ने कहा, ‘हमारे पूर्वज- उरांव, मुंडा और खड़िया समाज-आज़ादी से पूर्व उत्तरी छोटानागपुर के जंगलों में आए और उसे रहने लायक बनाया। यह हमारे इतिहास का गौरव है, जिसे संजोना आवश्यक है।’

अंत में उन्होंने सभी से आह्वान किया कि अपनी धर्म, संस्कृति, प्रथा और परंपराओं को बचाना ही आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यही हमारे समाज और समस्त जगत के कल्याण का मार्ग है।

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