भारत आतंक का शिकार है, आक्रांता नहीं : राजीव प्रताप रुडी

बिहार देश
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  • आतंकवादी और आतंकवाद समर्थक राष्ट्रों में कोई भेद नहीं किया जाएगा
  • केपटाउन की गांधीभूमि से आतंक के विरुद्ध वैश्विक चेतना का संकल्प

छपरा। साउथ अफ्रीका पहुंचने से पहले कतर यात्रा पर भारतीय सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने दोहा में मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि भारत आतंक का शिकार है, आक्रांता नहीं। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि यह यात्रा किसी मांग या शिकायत के लिए नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताने के लिए है कि आतंकवाद अब केवल क्षेत्रीय चुनौती नहीं, बल्कि वैश्विक संकट बन चुका है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व के उन राष्ट्रों के साथ खड़ा है जो आतंक के विरुद्ध एकजुट और रणनीतिक रूप से सक्रिय हैं।

श्री रूडी ने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल भारत के 150 करोड़ नागरिकों की विविध लेकिन एकजुट आवाज़ को लेकर आया है। इस प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख दलों के वरिष्ठ सांसद शामिल हैं जिसमें अनुराग सिंह ठाकुर (भाजपा, हिमाचल प्रदेश),  आनंद शर्मा (कांग्रेस, हिमाचल प्रदेश), मनीष तिवारी (कांग्रेस, पंजाब), सुप्रिया सुले (एनसीपी, महाराष्ट्र),  इंदरबीर सिंह सैनी (आप, पंजाब),  लवू श्रीकृष्ण देवरे (टीडीपी, आंध्र प्रदेश), और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरलीधर राव (भाजपा)।

श्री रूडी ने कहा कि भारत के पड़ोस में नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार और चीन जैसे देशों से शांतिपूर्ण संबंध हैं, किंतु कुछ पड़ोसी राष्ट्र ऐसे हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं। भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है, जहाँ विभिन्न धर्म, भाषाएँ और संस्कृतियां सौहार्द के साथ एकसाथ जीते हैं। यह हमारी विविधता ही हमारी एकता की सबसे बड़ी ताकत है।

श्री रूडी ने स्पष्ट किया कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले को मूक होकर नहीं सहेगा, उसका प्रतिउत्तर दिया जाएगा। भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ परमाणु नीति उसकी जिम्मेदारी का प्रतीक है, लेकिन भारत आतंकवादी और आतंक को संरक्षण देने वाले राष्ट्रों के बीच अब कोई अंतर नहीं करेगाकृदोनों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाएगा।

भाजपा सांसद ने कहा कि विश्व को अब आतंक के विरुद्ध केवल बयानबाज़ी से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 2001 में विश्व व्यापार केंद्र पर हुआ आतंकी हमला मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध था, और उसका सूत्रधार पाकिस्तान की सरज़मीं में छिपा मिला। क्या आज भी दुनिया को इस बात का प्रमाण चाहिए कि आतंक कहां से जन्म लेता है?

अंत में उन्होंने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल कतर या किसी अन्य राष्ट्र से कुछ मांगने नहीं आया है, बल्कि यह बताने आया है कि भारत आतंकवाद से पीड़ित है और अब वह इसके विरुद्ध वैश्विक साझेदारी, संवाद और रणनीतिक एकजुटता की वकालत करता है। यही इस यात्रा का उद्देश्य है।

सर्वदलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन पहुंचा। केपटाउन वही ऐतिहासिक भूमि है, जहां महात्मा गांधी ने पहली बार सत्याग्रह का प्रयोग किया। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष की शुरुआत की थी। यहीं से गांधी जी के विचारों ने वैश्विक दिशा ली—अहिंसा, सविनय अवज्ञा और मानवाधिकारों के लिए निर्भीक आवाज़।

आज उसी धरती पर खड़े होकर, भारत से आया यह प्रतिनिधिमंडल महात्‍मा गांधी के मूल्यों की भावना के साथ, आतंक के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय चेतना जगाने, पीड़ितों की आवाज़ को वैश्विक मंच तक पहुँचाने, और दुनिया को यह बताने आया है कि भारत आतंक का शिकार है और अब वह चुप नहीं रहेगा। यह यात्रा, संवाद और सहयोग के माध्यम से, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक साझा संकल्प का आह्वान है।

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