पटना। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड अंतर्गत ग्राम गजाधरपुर में 500 एकड़ धान परती भूमि के प्रबंधन के लिए क्षेत्र का चयन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र का भ्रमण कर कृषकों के साथ संवाद एवं भूमि सर्वेक्षण किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना और कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर, गया के संयुक्त तत्वावधान में इसे लागू किया जा रहा है।
कार्यक्रम के अंतर्गत धान परती भूमि में धान की सीधी बुआई एवं मेड़ पर उन्नत प्रभेद की अरहर (आईपीए 203) का प्रदर्शन किया जाएगा, जिससे किसानों को परती भूमि के सतत उपयोग एवं आयवृद्धि के नए अवसर प्राप्त हो सके। चयनित क्षेत्र में पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा विकसित धान की उन्नत किस्म ‘स्वर्ण श्रेया’ का प्रदर्शन किया जाएगा।
पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वरिष्ठ वैज्ञानिक-सह-प्रधान अन्वेषक डॉ. राकेश कुमार ने किसानों को धान परती भूमि के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए भूमि संरक्षण, नमी प्रबंधन तथा पोषणीय स्तर बनाए रखने की तकनीकों से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि वैज्ञानिक विधियों के उपयोग से परती भूमि पर द्वितीय फसलें लेकर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
निदेशक (पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना) डॉ. अनुप दास ने कहा कि गया जिले की परती भूमि का वैज्ञानिक प्रबंधन हमारी प्राथमिकताओं में है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत यह प्रयास एक ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में संचालित हो रहा है, जिसका उद्देश्य किसानों को आयवर्धन के लिए सशक्त करना है। हम चाहते हैं कि गया जिले की 25,000 हेक्टेयर परती भूमि हरित क्रांति की नई मिसाल बने।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान ई. मनोज कुमार राय ने किसानों को जलवायु अनुकूल तकनीकों जैसे सीधी बुआई, ड्रम सीडर, कम जुताई तथा शून्य विधि से दलहन-तिलहन फसलों की खेती की विधियों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को परती भूमि के बेहतर उपयोग के लिए प्रशिक्षित करना एवं उन्हें स्वावलंबी बनाना है।
सहायक प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र मंडल ने कहा, “कृषकों की भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सफलता की कुंजी है। हमारी तकनीकी टीम किसानों को प्रशिक्षण एवं निरंतर सहयोग प्रदान करेगी ताकि वे उन्नत तकनीकों को आत्मसात कर लाभान्वित हो सकें।”
तकनीशियन श्रीराम कुमार मीणा ने किसानों से सीधे संवाद स्थापित किया। उन्हें नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनकी सकारात्मक प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक रही। वे इस कार्य को पूरी गंभीरता से लेने के लिए तैयार हैं।
इस प्रक्षेत्र भ्रमण कार्यक्रम का नेतृत्व ई. मनोज कुमार राय ने किया। क्षेत्र में शीघ्र ही वैज्ञानिक विधियों से धान की सीधी बुऔई एवं पश्चात फसल प्रबंधन की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।
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