केंद्रीय कोयला मंत्री ने खनिक और महिला श्रमिकों के साथ खाया खाना, ली सेल्फी

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  • एसईसीएल की गेवरा खदान में खनन कार्यों का जायजा लिया

छत्‍तीसगढ़। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ में एसईसीएल की गेवरा खदान का दौरा किया। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान के रूप में पहचानी जाने वाली गेवरा भारत की बढ़ती ऊर्जा शक्ति का प्रतीक है। मंत्री के दौरे ने फ्रंटलाइन श्रमिकों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और कोयला क्षेत्र में उत्पादकता और कल्याण दोनों को बढ़ाने पर इसके फोकस को रेखांकित किया।

गेवरा हाउस पहुंचने पर मंत्री को सीआईएसएफ की टुकड़ी द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। खदान के व्यू प्वाइंट पर एसईसीएल के अधिकारियों ने प्रमुख उपलब्धियों और चल रहे विकास पर प्रकाश डालते हुए एक विस्तृत प्रस्तुति दी। श्री रेड्डी ने महिला श्रमिकों सहित कोयला खनिकों को चौबीसों घंटे कोयला उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उनके अटूट समर्पण के लिए सम्मानित किया।

खदान के मध्य में उतरकर मंत्री ने बड़े पैमाने पर खनन कार्य देखा, जिसमें 42-क्यूबिक-मीटर शॉवल और 240-टन डम्पर जैसे बड़े उपकरणों की तैनाती शामिल थी। यह दुनिया भर में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे बड़ी हेवी अर्थ मूविंग मशीन में से एक है। उन्होंने ब्लास्ट-फ्री सरफेस माइनर तकनीक की भी समीक्षा की। फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी पहल के तहत विकसित आधुनिक साइलो का दौरा किया, जिसका उद्देश्य टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कोयला निकासी है।

श्री रेड्डी ने मशीन ऑपरेटरों से उनके केबिन में बातचीत की। उनका मनोबल बढ़ाया और कोयला उत्पादन में उनके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार किया। मंत्री दोपहर के भोजन के लिए कैंटीन में श्रमिकों के साथ शामिल हुए। उनके साथ सेल्फी ली।

यात्रा के दौरान मंत्री ने एसईसीएल की हरित पहलों का भी जायजा लिया। उन्होंने मियावाकी प्लांटेशन पायलट साइट का दौरा किया, जहां अभिनव जापानी पौधरोपण तकनीक का उपयोग करके पौधे लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने नवनिर्मित कल्याण मंडप का उद्घाटन किया – जो कर्मचारी कार्यक्रमों और सामुदायिक समारोहों के लिए समर्पित एक बहुउद्देश्यीय सुविधा है।

इस अवसर पर श्री रेड्डी ने राष्ट्रीय विकास में कोयले की केंद्रीय भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि भारत का 70% से अधिक बिजली उत्पादन कोयले पर निर्भर करता है। उन्होंने विकास को स्थिरता के साथ संतुलित करने, जिम्मेदार खदान बंद करने की प्रथाओं में तेजी लाने और पर्यावरण मानकों में निरंतर सुधार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। गेवरा को देश का गौरव बताते हुए, मंत्री ने कहा, “भोजन के लिए इंतजार किया जा सकता है, लेकिन बिजली में देरी नहीं की जा सकती। यह हमारे कोयला खनिक हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि राष्ट्र रोशन और ऊर्जावान बना रहे।”

इस दौरे में कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन पी.एम. प्रसाद, कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव बी.पी. पति, एसईसीएल के सीएमडी हरीश दुहान और मंत्रालय एवं एसईसीएल के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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