यूनिसेफ ने माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर राज्य स्तरीय प्रशिक्षण आयोजि‍त

झारखंड
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रांची। झारखंड सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने यूनिसेफ के सहयोग से माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर 24 और 25 अप्रैल को राज्य स्तरीय ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स का आयोजन रांची के कांके स्थित विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ सैनिटेशन एंड वॉटर अकादमी में किया। इस पहल का उद्देश्य 50 मास्टर ट्रेनर्स की एक समर्पित टीम तैयार करना था, जो राज्य भर के प्रमंडलीय और प्रखंड स्तरों पर माहवारी स्वच्छता एवं स्वास्थ्य जागरूकता के प्रमुख संवाहक की भूमिका निभाएंगे।

इस प्रशिक्षण में झारखंड के सभी 24 जिलों से प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी और महिला पर्यवेक्षक शामिल थे। उनकी भागीदारी यह दर्शाती है कि सरकार सामुदायिक नेतृत्व और स्थानीय पहल के माध्यम से मासिक धर्म से जुड़े मिथकों को तोड़ने पर बल दे रही है।

यह पहल ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी प्रमुख योजनाओं के साथ जुड़ी हुई है और किशोरियों व महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़े मिथ्या धारणाओं को दूर कर सशक्त बनाने का उद्देश्य रखती है। कार्यक्रम के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक श्रीमती किरण कुमारी पासी ने कहा, “खुले आसमान की ऊँचाई हर महिला और लड़की के इंतजार में है। मासिक धर्म कभी भी आपके सपनों की राह में बाधा नहीं बनना चाहिए।”

यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्र ने सरकार के समावेशी और समग्र दृष्टिकोण की सराहना की और माहवारी स्वच्छता से जुड़े मुद्दों पर होने वाले चर्चाओं में लड़कों एवं पुरुषों की भागीदारी को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सैनिटरी उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाने से माहवारी स्वच्छता का बढ़ावा मिलेगा और स्वस्थ प्रथाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की सीईओ श्रीमती कंचन सिंह ने बताया कि राज्य भर में स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित 14 सैनिटरी पैड निर्माण इकाइयाँ सक्रिय हैं, जो अब तक 32 लाख ग्रामीण महिलाओं तक पहुँच चुकी हैं। भविष्य में और इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी, जिससे मासिक धर्म स्वच्छता को आर्थिक सशक्तिकरण से जोड़ा जाएगा।

यूनिसेफ झारखंड की अधिकारी डॉ. लक्ष्मी सक्सेना और विशेषज्ञ कुमार प्रेमचंद ने माहवारी स्वच्छता कार्यक्रम के तीन प्रमुख स्तंभों जागरूकता, पहुंच और उपलब्धता पर बल दिया। इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रमुख विभागों के बीच समन्वय को कार्यक्रम की सफलता के लिए आवश्यक बताया। आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने जैविक विकल्पों को अपनाने और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत पर भी जोर दिया।

यूनिसेफ झारखंड के पोषण विशेषज्ञ प्रीतीश नायक ने खाद्य पोषण और स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला, और स्वच्छता एवं पोषण को एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

सरकारी अस्पताल की डॉ. वंदिता ने मासिक धर्म स्वास्थ्य को समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने स्वच्छता, सुरक्षित उत्पादों के उपयोग और पीसीओडी/पीसीओएस जैसी स्थितियों की जानकारी पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सही जानकारी और समय पर निदान से लड़कियों और महिलाओं को आत्मविश्वास, गरिमा और स्वास्थ्य प्रबंधन में सशक्त बनाया जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में इंटरएक्टिव और सहभागी तरीकों जैसे रोल प्ले, समूह कार्य और फीडबैक सत्र का उपयोग किया गया।

प्रतिभागियों को महिला एवं बाल विकास विभाग और यूनिसेफ की ओर से संयुक्त प्रमाण-पत्र दिए गए, जिससे वे जिलों और प्रखंडों में इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर सकें। यूनिसेफ ने इस कार्यक्रम के आयोजन में तकनीकी और लॉजिस्टिक सहयोग प्रदान किया, जिसमें प्रशिक्षण मॉड्यूल, विशेषज्ञ सुविधा और आईईसी सामग्री शामिल थी। सहयोगी संगठन सिनी, लीड्स और टाटा ट्रस्ट ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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