सुजीत कुमार केसरी
पिठोरिया। नागपुरी के मूर्धन्य साहित्यकार, नागपुरी भाषा परिषद के अध्यक्ष और गोस्सनर महाविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ राम प्रसाद का निधन 12 अप्रैल, 2025 को उनके आवास में हो गया था। वे लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। रविवार को नागपुरी भाषा परिषद की ओर से परिषद के प्रधान कार्यालय आशा कुंज, कटहल मोड़, पुंदाग में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए रांची विवि के नागपुरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. उमेश नंद तिवारी ने कहा कि विनम्रता एवं विद्वता के मूर्तिमान स्वरूप डॉ राम प्रसाद का अचानक बिछुड़ जाना नागपुरी साहित्य के लिए ही नहीं संपूर्ण झारखंड के लिए अपूर्णीय क्षति है।
परिषद की महासचिव डॉ शकुंतला मिश्र ने कहा कि नागपुरी के अलावा वे नौ भाषाओं को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी थे। उनका मानना था कि मातृभाषाओं के विकास से ही किसी राज्य या देश का विकास संभव है। झारखंडी भाषाओं के विकास के लिए वे जीवन भर तत्पर रहे।
परिषद के सचिव डॉ सुखदेव साहू ने कहा कि डॉ राम प्रसाद का व्यक्तित्व ही नहीं उनकी कलम में भी ऐसी ताकत थी कि जो उनसे मिलता उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता।
रामदेव बड़ाईक, डॉ अंजुलता कुमारी, डॉ राम कुमार, श्रीकांत गोप, श्याम सुंदर यादव, पांडुरंग हाईबुरु, बबलू कुमार आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे।
इस अवसर पर करुणा कुमारी, आशा कुमारी, सुनीता टोप्पो, जगदीश उरांव, पंचू साहू, तबरेज मंसूरी, प्रवीण सिंह, शरत कुमार, फूलदेव उरांव, मुकेश कुमार, रोहित केरकेट्टा, अनुप गाड़ी, राजमोहन महतो, धर्मेंद्र कश्यप, उपस्थित थे। विक्की मिज ने कार्यक्रम का संचालन किया।
पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि झारखंडी भाषाओं को जिन्होंने अपने प्राण-रस से सींचा उन्हीं में से एक डॉ राम प्रसाद थे। वह अपने साहित्य स्वर्ण अक्षरों में सदैव स्मरणीय रहेंगे।
पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने कहा कि डॉ राम प्रसाद जैसे साहित्य मर्मज्ञ हीरे को खोकर मर्माहत हूं। उन्हें झारखंड, और झारखंडी भाषा सेवी सदियों तक याद करेंगे।
डॉ कृष्ण प्रसाद साहू कलाघर ने कहा कि डॉ राम प्रसाद जितने बड़े विद्वान और भाषा अनुरागी थे। मनुष्यता के गुणों से संपन्न थे। उनकी पावन स्मृति के प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं।
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