रांची। सिन्दुआर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच जागरुकता अभियान चलाया। संस्था के सचिव राजेन कुमार ने कहा कि धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला है।
सचिव राजेन कुमार ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जागरुकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा। उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है।
श्री कुमार ने कहा कि इसीलिए धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरुकता अभियान चलाने का फैसला किया गया, क्योंकि वे विवाह संपन्न कराते हैं। हमने उन्हें समझाया कि बाल विवाह और कुछ नहीं, बल्कि बच्चों के साथ बलात्कार है। अठारह वर्ष से काम उम्र की किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है। धर्मगुरु इस बात को समझते हुए ना सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं।
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