रांची। प्रभात प्रकाशन के सभागार में होली मिलन समारोह का आयोजन 8 मार्च को किया गया। इस मौके पर पद्मश्री बलबीर दत्त, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ हरेंद्र प्रसाद सिन्हा, वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने साहित्य अमृत के होली विशेषांक का लोकार्पण भी किया। इसके बाद होरी, फाग, गीत, गजल से शाम रंगीन होती रही।
बलबीर दत्त ने अपने रावलपिंडी की होली पर संस्मरण सुनाया। बचपन को याद किया। इसके बाद पत्रकार, वकील से लेकर नेताओं पर कई चुटकुले भी सुनाए। डॉ प्रियदर्शी ने भी होली पर अपने अतीत को याद किया और संस्मरण सुनाया। उन्होंने होली पर एक गीत सुनाया।
अनुज कुमार सिन्हा ने भी बचपन की होली और हुड़दंग की कहानियां साझा की। डॉ मुरारी मयंक ने भी होली की याद में कविता सुनाई। कवि व गायक सदानंद सिंह यादव ने होली की है मस्ती, बोलो सा रा रा रा…इसके बाद मोरा पियवा न आए फगुनवा, खनके कंगनवा अंगनवा…इसके बाद तो मसान में दिगंबर के होली खोलने की बात की। झरी बहे पछिया बयार, अजब रुत फागुन के…गोरी तनि अंचरा सम्हार,अजब रुत फागुन के।
निरंजन कुमार श्रीवास्तव ने कहा, होली उल्लास का महीना है। गांव-शहर में भी यह सिमट कर रह गई है। उन्होंने कई गीत भी सुनाए…फागुन का मौसम बड़ा प्यारा लगे। असीत कुमार ने हास्य की कविता सुनाई। युवा कवि प्रणव प्रियदर्शी ने भी होली पर कई कविताएं सुनाईं।
विनोद सिंह ने होली पर भोजपुरी में कई गीत सुनाया। बिन पिया सुन फागुन महीना लगे…चंद्रिका ठाकुर देशदीप ने भी कविता सुनाई। संचालन डॉ हरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने किया और गजल भी सुनाई। स्वागत व धन्यवाद राजेश शर्मा ने किया। कार्यक्रम में अजीत सिंह, राजेंद्र सिंह, दिवाकर सिंह, बसंत सिंह, एसके चौबे सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
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