- विद्यार्थियों ने रचनात्मक सोच के साथ कैंपस के आठ जगहों का किया कायाकल्प
- पढ़ाई के साथ सामाजिक जुड़ाव और सामाजिक बुद्धिमता स्थापित करना जरूरी
रांची। डिजिटल दुनिया में स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैब जैसे गैजेट्स के साथ युवाओं का संबंध गहरा होता जा रहा है। इसके कारण आपसी रिश्ते व सामाजिक जुड़ाव में कमी आने लगी है। आज के युवा अपनी खुशी गैजेट्स के बीच तलाशते है, जबकि खुशी तलाशने के कई अन्य माध्यम भी हैं। आईआईएम रांची ने खुशी के आठ माध्यमों पर शोध कर संस्थान में आठ ऐसे ठिकाने तैयार किये है, जहां विद्यार्थियों को डिजिटल दुनिया से दूर होकर सामाजिक जुड़ाव और आत्म मंथन करने का मौका मिल रहा हैं। इन्हीं जगहों को ‘हैप्पीनेस कॉर्नर’ का नाम दिया गया है। एकजुट, आपसी जुड़ाव व समाजिक जुड़ाव की भावना के साथ कैंपस में रह रहे विद्यार्थियों ने इन हैप्पीनेस कॉर्नर को अलग-अलग थीम पर तैयार किया है।
आठ थीम पर आधारित हैं हैप्पीनेस कॉर्नर
संस्थान के विभिन्न एकेडमिक ब्लॉक समेत हॉस्टल, कम्यूनिटी सेंटर और कैंटीन के आस-पास इन हैप्पीनेस कॉर्नर को विकसित किया गया है। यह कृतघता, चिंतन-मन, प्राकृति जुड़ाव, सतत विकास, संवाद, उत्सव, रचनात्मकता और ओपन प्ले जैसे थीम पर तैयार हैं।
विद्यार्थियों में स्किल्स को बढ़ावा देना था
आईआईएम रांची के निदेशक प्रो दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय में शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास होना चाहिए। बौद्धिक विकास के लिए जीवन से संबंधित चुनौतियों की भी समझ जरूरी है। इसके लिए लाइफ स्किल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। विद्यार्थी जीवन में ही लाइफ स्किल्स जैसे – संबंधों में सुधार, स्वयं की देखभाल, सात्विक चिंतन, आलोचनात्मक सोच, समय प्रबंधन, प्रभावी संचार की विधियां, सहानुभि और समस्या समाधान की प्रवृत्ति विकसित की जा सकती है। हैप्पीनेस कॉर्नर को तैयार करने के पीछे विद्यार्थियों में इन्हीं स्किल्स को बढ़ावा देना था।
विद्यार्थियों ने मिलकर तैयार किया
प्रो स्वेता झा और प्रो गौरव मनोहर मराठे ने बताया कि हैप्पीनेस कॉर्नर तैयार करने की जिम्मेदारी संस्थान में रह रहे एमबीए, एमबीए बीए व आईपीएम कोर्स विद्यार्थियों ने ली। इसके लिए 80 से 100 विद्यार्थी की आठ टीमें तैयार की गयी। विद्यार्थियों ने थीम के अनुसार संस्थान के विभिन्न जगह को चुना। कॉर्नर को विकसित करने के लिए 50 हजार रुपये का बजट भी दिया गया। विद्यार्थियों ने संस्थान में उपलब्ध कबाड़ से वेस्ट आउट ऑफ बेस्ट तैयार किया।
थीम के अनुसार रखे गए नाम
शांति : इस हैप्पीनेस कॉर्नर को सिढ़ीयों के नीचे की खाली जगह पर बनाया गया है। चिंतन-मनन थीम पर आधारित इस कॉर्नर में डिजिटल इक्विपमेंट लेकर जाने की मनाही है। इसे ध्यान केंद्र के साथ अपने सोच को शब्दों के रूप में आकार देने के लिए तैयार किया गया है।
संवाद : यहां विद्यार्थी आपस में बातचीत के लिए एकजुट होते है।
सांझ : सस्टेनेबिलिटी थीम पर आधारित इस कॉर्नर को वैसे सामान से सजाया गया है, जिसका इस्तेमाल नहीं हो रहा था। इसमें छात्रों द्वारा स्वींग यानी झूला भी तैयार किया है। इसके अलावा बैठने के सामान भी बेकार पड़े समान जैसे टायर, केबल रैक आदि से तैयार किया गया है।
सहयोग : इस कॉर्नर को आपसी सहयो के थीम पर तैयार किया गया है, जहां एक सहयोग मंच है, जिसमें स्टूडेंट अपनी प्रस्तुति के लिए दूसरों से रकम तय करते है। इंट्री पास के रूप में रकम इकट्ठा होने पर उसे समाज सेवा में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सहयोग बैंक में विद्यार्थी एक-दूसरे के लिए समान का दान भी करते है। यहां तैयार वर्ली पेंटिंग के माध्यम से आदी से अंत तक के सफर को दर्शाया गया है।
सुख : उत्सव थीम पर आधारित इस कॉर्नर को गेम जोन के रूप में तैयार किया गया है।
सृजन : क्रिएटिविटी थीम पर तैयार इस कॉर्नर में आसमान व समुद्र जैसे प्रारुप तैयार किये गये है, जो इंसानी सोच का दायरा बढ़ाने का संदेश देता है।
संगम : कम्यूनिटी सेंटर में स्थित कॉर्नर में विद्यार्थी एकजुट होकर नये विचारों को आकार दे रहे हैं।
स्पर्श : कैफेटेरिया के समीप बने कॉर्नर में पांचों इंद्रियों को महसूस करने के लिए अलग-अलग व्यवस्था है।
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