प्रदेश के मुखियाओं को प्रबंधन कौशल का प्रशिक्षण दे रहा आईआईएम रांची

झारखंड
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  • पांच दिवसीय कार्यक्रम में स्थानीय समस्याओं के निबटारे का मिलेगा मंत्र

रांची। आईआईएम, रांची में पंचायती राज के अंतर्गत प्रदेश के मुखियाओं के लिए पांच दिवसीय मैनेजमेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम (एमडीपी) के प्रथम बैच की शुरुआत हुई। प्रशिक्षण कार्यक्रम 20 मार्च, 2025 तक संचालित होगा। इसका उद्देश्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों में नेतृत्वकर्ता और शासन क्षमता को विकसित करना है, जिससे मुखिया अपने क्षेत्र में सतत ग्रामीण विकास के लिए सृजनात्मक कार्यों को प्रबंधन कौशल के जरिये पूरा कर सकें। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की उपयोगिता, प्रभावी आजीविका सृजन के मॉडल विकसित करने और प्रशासन की मदद से जमीनी स्तर पर बदलाव की रणनीति तैयार करने की पहल करना हैं।

पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम निदेशक प्रो. गौरव मनोरहर मराठे और प्रो. राजीव वर्मा के नेतृत्व में हुई। इस अवसर पर प्रो. रवीश कृष्णनकुट्टी और प्रो. रोहित कुमार भी उपस्थित थे।

प्रो. गौरव मनोहर मराठे ने मुखियाओं को पंचायती राज के उद्देश्य, कार्यप्रणाली और भविष्य अवसर से परिचय कराया। मुखिया कैसे ग्रामीण और समाज के विकास में अपनी पूर्ण सहभागिता निभा सकते है, की जानकारी दी। इस दौरान मुखियाओं ने भी अपने क्षेत्र के ग्रामीण विकास के अवसरों का अनुभाव साझा किया।

प्रो. राजीव वर्मा ने पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा साझा की। उन्होंने मुखियाओं को शहरी और ग्रामीण विकास की चुनौतियों और विकास की रणनीति के अलग-अलग दृष्टिकोण से प्रेरित किया। साथ ही संभावित बदलाव के लिए सीमित वित्तीय प्रबंधन और संसाधनों की जानकारी दी, ताकि मुखिया अपने-अपने क्षेत्र में सामूहिक प्रयास और विषय विशेषज्ञता का इस्तेमाल करते हुए स्थायी विकास के ढांचे तैयार कर सकें।

प्रो. राजीव ने ग्रामीण विकास के लिए मुखियाओं को लगातार एक-दूसरे के संपर्क में बने रहकर अनुभव साझा करने की प्रेरणा दी। प्रो. कृष्णनकुट्टी और प्रो. रोहित ने पंचायती राज के वित्तीय और राजनीतिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ-साथ प्रशासनिक संरचना, वित्तीय प्रबंधन एवं जिम्मेवारियां, राजस्व सृजन और डिजिटल गवर्नेंस की मदद से ग्रामीण विकास जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।

प्रशिक्षकों ने मुखियाओं को समय के साथ बदलती व्यवस्था में कैसे खुद को व्यवस्थित और सामयिक रख सकते है, से प्रेरित किया। इसके अलावा मुखिया कैसे विषय विशिष्ट हितधारकों से संपर्क करने, संसाधन जुटाने की रणनीति और गांव के विकास के लिए ग्रामीणों के साथ मिलकर प्रायोगिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण तैयार करने पर चर्चा हुई।

तकनीकी सत्र के दौरान मुखियाओं को देशभर में चल संचालित योजना और परियोजनाओं की जानकारी दी गयी। साथ ही वैसी योजनाएं जिनका लाभ ग्रामीण उठा सकते है, से भी रू-ब-रू कराया गया। सत्र के दौरान मुखियाओं को देश में संचालित परियोजनाओं का अध्ययन करते हुए अपने गांव के लिए नये ग्रामीण विकास मॉडल और तकनीकी समाधान तैयार करने की प्रेरणा दी गयी।

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