साइबरपीस और इनमोबी की डिजिटल जन शक्ति पहल का शुभारंभ

झारखंड
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  • पहले चरण में 10,000 युवाओं और वंचित समुदायों के लोगों को कौशल प्रदान करने का लक्ष्य

रांची। प्रमुख साइबर सुरक्षा गैर-लाभकारी संगठन साइबरपीस और इनमोबी, भारत की पहली यूनिकॉर्न ने डिजिटल जन शक्ति पहल लॉन्च की है, इसका उद्देश्य भारत के युवाओं और वंचित समुदायों में डिजिटल सुरक्षा और साइबर सुरक्षा कौशल बढ़ाना है।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने किया। इस मौके पर राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रेखा शर्मा और इनमोबी की ग्लोबल एसवीपी, चीफ कॉरपोरेट अफेयर्स और पब्लिक पॉलिसी ऑफिसर व सीएसआर के लिए ग्लोबल लीड डॉ. सुबी चतुर्वेदी, साइबरपीस के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष मेजर विनीत कुमार और सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधि, बाल कल्याण संघ के संस्थापक संजय मिश्रा और स्वावलंबन की सचिव सुश्री पुनीता राय मौजूद रहीं। इनके अलावा कई प्रमुख सरकारी अधिकारी, नीति निर्माता, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और सामाजिक लीडर भी शामिल हुए और डिजिटल साक्षरता और सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया।

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा, “डिजिटल जन शक्ति पहल भारत के डिजिटल भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे दौर में जब साइबर खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं, मैं इनमोबी और साइबरपीस को इस पहल के लिए बधाई देता हूं, जो हमारे युवाओं और वंचित समुदायों को साइबर सुरक्षा कौशल से सशक्त करेगी। यह पहल माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समावेशी और सशक्त ‘डिजिटल इंडिया’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह सिर्फ जरूरी नहीं, बल्कि अनिवार्य पहल है और ये प्रयास डिजिटल डिवाइड को खत्म करने में मदद करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी नागरिक ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार न हो।“

डिजिटल जन शक्ति के लॉन्च पर इसे डिजाइन करने वाली इनमोबी की ग्लोबल एसवीपी और चीफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ऑफिसर डॉ. सुबी चतुर्वेदी ने कहा, “इनमोबी में, हम मानते हैं कि प्रौद्योगिकी को एक अच्छे उद्देश्य के लिए होना चाहिए, और ‘डिजिटल जन शक्ति’ इस दृष्टिकोण को साकार करती है। यह पहल केवल जागरुकता तक सीमित नहीं है, यह भारत के युवाओं और वंचित समुदायों में व्यावहारिक साइबर सुरक्षा क्षमता का निर्माण करती है। बढ़ते डिजिटल खतरों के मद्देनजर, इंडस्ट्री, सरकार और नागरिक समाज के बीच सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। जागरूकता फैलाने और साइबर कौशल को बढ़ावा देने के जरिये, हम न केवल व्यक्तियों की रक्षा कर रहे हैं बल्कि राष्ट्र की डिजिटल सुरक्षा को भी मजबूत कर रहे हैं। साइबरपीस के सहयोग से यह पहल सभी के लिए सुरक्षित, अधिक समावेशी इंटरनेट के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हमारा पहला चरण 10000 से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचेगा और यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा। “

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षित और प्रोडक्टिव इंटरनेट के दृष्टिकोण के अनुरूप, ‘डिजिटल जन शक्ति’ पहल का उद्देश्य भारत के युवाओं और वंचित समुदयों को साइबर सुरक्षा क्षमता से सशक्त बनाना है। बढ़ते साइबर खतरों, विशेष रूप से ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर, यह प्रयास जागरुकता बढ़ाने, सुरक्षित ऑनलाइन प्रथाओं को बढ़ावा देने और एक डिजिटल जागरूक समाज बनाने का प्रयास है। उन्होंने आगे कहा, नागरिकों को आवश्यक साइबर सुरक्षा कौशल प्रदान करके, यह पहल भारत के एक सुरक्षित और समावेशी डिजिटल भविष्य की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।

राज्यसभा सांसद और पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, “साइबर सुरक्षा केवल एक तकनीकी मुद्दा नहीं है, यह सामाजिक सशक्तिकरण का विषय है, खासकर महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए। ‘डिजिटल जन शक्ति’ पहल साइबर धोखाधड़ी जैसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ और फिशिंग स्कैम्स से निपटने के लिए लोगों को आवश्यक ज्ञान प्रदान करने में गेम-चेंजर साबित होगी। यह कार्यक्रम जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करके सुनिश्चित करता है कि सबसे कमजोर वर्ग भी डिजिटल दुनिया को आत्मविश्वास के साथ नेविगेट कर सके।“

साइबरपीस के संस्थापक और ग्लोबल अध्यक्ष मेजर विनीत कुमार ने कहा, “साइबरपीस का हमेशा मानना रहा है कि असली डिजिटल सशक्तिकरण शिक्षा और जागरूकता से शुरू होता है। ‘डिजिटल जन शक्ति’ पहल एक साइबर-सेंसिटिव भारत बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है, जहां कोई भी नागरिक ऑनलाइन खतरों से अनजान नहीं रहेगा। युवाओं, महिलाओं और वंचित समुदायों को आवश्यक साइबर सुरक्षा कौशल से लैस करके, हम केवल साइबर अपराधों को रोकने का काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम सक्रिय डिजिटल नागरिकता की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।“

इस पहल की पहली वर्कशॉप रांची में आयोजित की गई, इसमें 500 से अधिक वंचितों ने हिस्सा लिया और साइबर सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर इंटरएक्टिव सत्रों में भाग लिया। इस दौरान सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार, पर्सनल डाटा की सुरक्षा के सर्वोत्तम तरीके, फिशिंग स्कैम्स को पहचानना और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर गोपनीयता बनाए रखने जैसे मुद्दों पर बात हुई।