रांची। बीआईटी मेसरा ने इंस्टीट्यूट की बेहतरीन और उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धियों को मान्यता देकर पूरे उल्लास के साथ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस-2025 मनाया। इंस्टीट्यूट इनोवेशन काउंसिल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के भविष्य को आकार देने में विज्ञान की परिवर्तनकारी भूमिका को उजागर करने के लिए छात्र, फैकल्टी और विशिष्ट अतिथि एक साथ आए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आईआईएसईआर कोलकाता के पूर्व डायरेक्टर और विश्वभारती के पूर्व वाइस-चांसलर, सुशांत कुमार दत्तागुप्ता की उपस्थिति रही। उनके साथ ही बीआईटी मेसरा और आईआईटी खड़गपुर के डिपार्टमेंट ऑफ कैमिस्ट्री के प्रतिष्ठित प्रोफेसर प्रतिम कुमार चट्टाराज भी उपस्थित रहे।
बीआईटी के कुलपति प्रो. इंद्रनील मन्ना ने संस्थान की वैज्ञानिक खोज और डेवलपमेंट की विरासत पर जोर देते हुए कहा कि एक्सीलेंस की नींव पर निर्मित हमारी वैज्ञानिक विरासत ने इंजीनियरिंग, स्पेस साइंस और उभरती टेक्नोलॉजीज में सफलताएं हासिल की हैं। शिक्षा क्षेत्र को इंडस्ट्री के साथ इंटीग्रेट करके, हम ऐसी रिसर्च को आगे बढ़ा रहे हैं जो रियल वर्ल्ड की चुनौतियों का समाधान करती है। टेक्नोलॉजी के भविष्य को आकार दे रही है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारा ध्यान साइंटिफिक एक्सीलेंस को प्रोत्साहन देने पर बना हुआ है जो समाज और वैश्विक प्रगति में सार्थक योगदान देता है।
इस कार्यक्रम में प्रो. सुशांत कुमार दत्तागुप्ता ने बोस द्वारा आइंस्टीन को लिखे गए पत्र की शताब्दी पर कीनोट लेक्चर दिया गया, जिसमें मॉडर्न फिजिक्स में भारत के बेहतरीन और अर्थपूर्ण योगदान के बारे में बताया गया। इसके साथ ही एकेडमिक प्रतियोगिताएं, भारत के वैज्ञानिक भविष्य पर पैनल चर्चा और एक रिसर्च शोकेस ने कार्यक्रम को और भी बेहतरीन बना दिया।
आयोजन के अंतिम हिस्से में पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मेहमानों और प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए सराहा गया। यह कार्यक्रम छात्रों और रिसर्चर्स के लिए एक शानदार और असाधारण प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य किया, जिससे उन्हें जाने-माने और अनुभवी वैज्ञानिकों से जुड़ने और साइंस एंड टेक्नोलॉजी में लगातार सामने आ रही नई संभावनाओं का पता लगाने का मौका मिला ।
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