चक्रधरपुर। झारखंड सरकार राज्य में विकास कार्यों को लेकर काफी गंभीर है लेकिन यहां के भ्रष्ट अधिकारी और ठेकेदार आपसी सांठगांठ से सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण ग्रामीण विकास विषेश प्रमंडल से चक्रधरपुर प्रखंड गुलकेड़ा पंचायत के गुड़ासाई गांव में बन रहे टोयबो पुलिया है। समय-समय पर ग्रामीणों के शिकायत के बाद भी जिला प्रशासन और विभाग कुंभकर्ण की निद्रा में सोये हुए है। परिणाम स्वरूप अब पुलिया में हो रहे घटिया निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीण भी अब एकजुट हो गए हैं।
मंगलवार को प्रख्यात झारखंड आंदोलनकारी समाजसेवी मानसिंह बांकिरा, समाजसेवी दयासागर केराई और युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रीतम बांकिरा के नेतृत्व में ग्रामीण कार्यस्थल पर पहुंचे। कार्यस्थल पर पाया गया कि पुलिया निर्माण कार्य के नाम पर सिर्फ लीपापोती किया जा रहा है। गार्डवाल निर्माण करने के दौरान ही धंस गया है। गार्डवाल में नदी का पत्थर और बालू का इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिया में भी इस्टीमेट के अनुसार छड़ भी नहीं लगाया जा रहा है, जिससे अब पुलिया की मजबूती को लेकर भी सवाल उठने लगा है।
उपस्थित सभी ग्रामीणों ने फैसला किया कि पुलिया के पूरे निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच अधिकारियों द्वारा की जाए। उसके बाद ही पुलिया का निर्माण कार्य होना चाहिये। सभी ग्रामीणों ने ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय के नाम हस्ताक्षर युक्त आवेदन भी लिखा। आवेदन पत्र की प्रतिलिपि सांसद, विधायक, उपायुक्त और संबंधित विभाग के आलाधिकारियों को देने की बात कही।
झारखंड आंदोलनकारी सह समाजसेवी मानसिंह बांकिरा ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण पुलिया निर्माण कार्य को लेकर ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों को बारंबार अवगत करवाया गया है। इसके बावजूद भी ठेकेदार ने गांव के लोगों को डरा धमकाकर घटिया निर्माण कार्य जारी रखा। यह पुलिया तीन पंचायत के हजारों लोगों की लाइफलाइन है। बावजूद इसके ठेकेदार निम्न स्तर के निर्माण कार्य कर रहा है।
युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने फोन पर ही विभाग के पदाधिकारियों से पुलिया निर्माण से संबंधित जानकारी लेनी चाही, लेकिन अधिकारी ने कहा कि उन्हें पुलिया से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। समाजसेवी दयासागर केराई ने कहा कि पुलिया निर्माण कार्य के जांच के लिए उपायुक्त को भी ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन इस दिशा में कभी कोई प्रयास नहीं किया गया। इसलिए अब ग्रामीणों के साथ मिलकर ही इस लड़ाई को लड़ने का फैसला किया गया। मौके पर ग्रामीण मुंडा युगसिंह जामुदा, रामराई, गंगाराम, अमन, साहुराम जामुदा सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
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