- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला शुरू
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के लिए कृषि से ज्यादा महत्वपूर्ण विषय और कोई नहीं है। यहां के 80 प्रतिशत लोग गांव- देहात में रहते हैं, जिनकी आजीविका खेत-खलिहान के भरोसे ही चलती है। कृषि जैसा कोई उद्यम इस धरती पर नहीं है। राज्य की सरकारों ने और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने उनके लिए बहुत कुछ किया है, किन्तु अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने बीएयू द्वारा आयोजित तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला 2025 का शनिवार को उद्घाटन करते हुए कहा कि राज्य की बहुत सी भूमि पथरीली, कंकड़ीली, पहाड़ी, पठारी है। उसे कैसे खेती योग्य बनाया जाय, या वहां पर क्या वैकल्पिक फसल ली जाय, इस पहलू पर शोध करने की जरूरत है। बदलते मौसम के कारण कहीं बारिश कम, कहीं ज्यादा, कहीं विलम्ब से, कहीं जल्दी हो जाती है। इससे किसानों की उत्पादकता एवं आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। किसानों को इस समस्या से जूझ पाने के लिए काबिल बनाने की जरूरत है।
हर जिले में कृषि पाठशाला बनवा रही
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार हर जिले में 25 एकड़ क्षेत्र में कृषि पाठशाला बनवा रही है, जहां ग्रामीण ऑडियो, वीडियो, प्रदर्शनी, प्रशिक्षण एवं परामर्श से खेतीबारी, पशुपालन, मत्स्यपालन आदि उद्यम सीख सकते हैं। बोरिंग सूख जाते हैं या फेल हो जाते हैं, इसलिए सरकार ने राज्य में एक लाख कुआं खुदवाने की कार्य योजना तैयार की है, ताकि जिन क्षेत्रों में नदी, तालाब नहीं हैं वहां के किसान कुआं से सिंचाई कर फसल उत्पादन कर सकें।
बिरसा किसान दैनन्दिनी का लोकार्पण
मुख्यमंत्री ने मइयां सम्मान योजना के तहत प्रति माह प्राप्त होनेवली ढाई हज़ार की राशि का प्रयोग कृषि और ग्रामीण उद्यम के लिए करने का आह्वान ग्रामीण महिलाओं से किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के वार्षिक प्रकाशन बिरसा किसान दैनन्दिनी का लोकार्पण किया।
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सात किसानों को किया सम्मानित
खेती-पशुपालन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करनेवाले राज्य के विभिन्न जिलों के सात किसानों- शिवचरण बेदिया, सरिता देवी, राम मुंडा, अनुल मियां, अजय महली, सिलमन सोरेन और भीम सिंह को अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। इसके पूर्व मुख्यमंत्री ने वानिकी संकाय में राष्ट्रीव कृषि विकास योजना के तहत बननेवाले प्रशिक्षण हॉल एवं वनौषधि द्रव्य प्रदर्शनी दीर्घा का शिलान्यास भी किया।
बीएयू की रैंकिंग सुधारने का प्रयास हो : कृषि मंत्री
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि राज्य के किसानों की स्थिति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और सरकार के सम्बंधित विभागों को कदम ताल मिलाकर काम करना होगा। इस सोच और लक्ष्य के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी, उसमें पूरी सफलता नहीं मिल पाई है। पिछले 44 वर्षों के दौरान सम्बंधित राज्य सरकारों को जितना सहयोग इस विश्वविद्यालय को करना चाहिए था, वह नहीं कर पाई।
मंत्री ने ने देश के कृषि विश्वविद्यालयों में बीएयू की रैंकिंग में सुधार के लिए कारगर प्रयास पर जोर दिया। झारखंड के किसान सिंचाई साधनों की कमी के कारण केवल 4-5 महीने ही अपनी जमीन का प्रयोग खेती में कर पाते हैं। पूरे 365 दिन कृषि योग्य जमीन का लाभकारी प्रयोग कैसे हो, इसकी रणनीति किसानों को विकसित करने चाहिए।
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बीएयू में 60 से 100 प्रतिशत पद रिक्त : कुलपति
स्वागत करते हुए बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों की चर्चा की। कहा कि विश्वविद्यालय में पदाधिकारियों के शत प्रतिशत पद, शिक्षकों- वैज्ञानिकों के 80 प्रतिशत, कृषि विज्ञान केन्द्रों के 70 प्रतिशत और शिक्षकेतर कर्मियों के 60 प्रतिशत पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं, जिससे संस्था का कामकाज प्रभावित हो रहा है I
कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए टीम वर्क : रक्षित
भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, नामकुम के निदेशक डॉ सुजय रक्षित ने कहा कि झारखंड में स्थित आइसीएआर के संस्थान और बीएयू के वैज्ञानिक राज्य के कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं। प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव ने धन्यवाद किया। मंच पर मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, रांची के उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री, एसएसपी चन्दन कुमार सिन्हा भी उपस्थित थे। संचालन शशि सिंह ने किया।
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