- अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द का पहला राज्य सम्मेलन संपन्न
रांची। अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द, झारखंड का पहला राज्य सम्मेलन पुरानी विधान सभा में आयोजित किया गया। पहले सत्र की अध्यक्षता अंजुमन तरक्की उर्दू के राष्ट्रीय सचिव अतहर फारूकी ने की। इस सत्र में कंवेनर रिपोर्ट सम्मेलन के कंवेनर एम जेड खान ने प्रस्तुत किया। रिपोर्ट में अंजुमन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बताया गया। अंजुमन की स्थापना 1882 में की गई। इस अंजुमन से महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, शिबली नुमानी आदि का संबंध रहा है।
इस सत्र में विशेष अतिथि के रूप में झारखंड के स्वास्थय मंत्री इरफान अंसारी मौजूद थे। मंत्री ने कहा कि उर्दू का संबंध किसी विशेष धर्म से नहीं जोड़ा जाय, बल्कि यह एक भारतीय भाषा है। एक तहजीब का नाम उर्दू है। उन्होंने कहा कि उर्दू को जो सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिला है। उर्दू कमजोर नहीं है। उर्दू से प्यार करने वाले काफी हैं। उन्होंने उर्दू भाषा में शिक्षा प्राप्ति पर भी जोर दिया।
इस सत्र में जालिब वतनी की पुस्तक ‘उडान’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में सुशील साहिल (गोड्डा), मुफ्ती सईद आलम (गिरिडीह), हसन निजामी (धनबाद), जफरूललाह सादिक (हजारीबाग), जमशेद कमर (रांची) आदि ने भी अपने विचार रखें। भारतीय संविधान की प्रस्तावना उर्दू भाषा में डॉ मोहम्मद रेहाना अली ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में सुभाषिनी अली ने कहा कि उर्दू को किस तरह उसके मुकाम तक पहुंचाया जाए, इस पर विचार करने की जरूरत है। उर्दू को मुसलमानों की जुबान समझना बड़ी गलतफहमी है। उर्दू को मुसलमानों ने जन्म नहीं दिया है। जुबान की तरक्की के लिए इसे अर्थिक व्यवस्था से जोडने की जरूरत है। जुबान को जिन्दा रखने के लिए उस जुबान को बचाने की कोशिश करनी होगी। उर्दू भाषा को जनप्रिय बनाना होगा। सच्चाई से मुंह नहीं मोड़े। उर्दू के साहित्य का अन्य भाषाओं में अनुवाद होना जरूरी है।
दूसरे सत्र में सांसद डॉ महुआ माजी ने कहा कि उर्दू और हिन्दी का रिश्ता मां और मौसी का है। दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ यासीन अंसारी ने की। संचालन एमजेड खान ने किया। इस कॉन्फ्रेंस में 22 जिले के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस सत्र में उर्दू से संबंधित 13 प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें मुख्य रूप से साहित्य एवं उर्दू अकादमी का गठन, उर्दू सेल, उर्दू निदेशालय का गठन साहित्य उर्दू शिक्षकों रिक्त पदों पर नियुक्ति आदि शामिल हैं।
कॉन्फ्रेंस में उर्दू और हिंदी के लेखक वीना श्रीवास्तव, अपराजिता, एमएल सिंह, केके सिंह, सुशील साहिल, रेहाना, नजमा नाहिद, आलम आरा, फरहत जहां, शाजिया शबनम, डॉ अंजार, मो शकील, शोएब, कनक चौधरी आदि शामिल थे।
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