पुलिस के सहयोग से सुरूंदा गांव में बनाए गए पांच सीरियल बोरीबांध

झारखंड
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  • अफीम का त्याग कर वैकल्पिक खेती की ओर बढ़े किसानों के सहयोग में आगे आया कृषि विज्ञान केंद्र

खूंटी। मुरहू प्रखंड के सुरूंदा गांव के ग्रामीणों ने अफीम का त्याग कर दिया है। ग्रामीणों ने अफीम के एक-एक पौधों को नष्ट कर दिया है। अब पूरा गांव इस सीजन में मूंग की खेती करेगा। ग्रामीणों के इस शानदार पहल के बाद एसपी अमन कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दीपक राय, वैज्ञानिक डॉ राजन चौधरी शुक्रवार को सुरूंदा गांव पहुंचे।

जिला पुलिस और सेवा वेलफेयर सोसाईटी की पहल और सहयोग से यहां पूरे गांव के लोगों ने श्रमदान कर सुरूंदा-मुरहू नाला पर महज तीन घंटों में कुल पांच सी‍रियल बोरीबांध बना डाला। एसपी, केबीके अध्यक्ष, वैज्ञानिक समेत सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष अजय शर्मा ने भी ग्रामीणों के साथ बोरीबांध निर्माण में श्रमदान कर उनका हौसला अफजाई किया। बोरीबांध बनने के बाद गांव के सारे लोग अखरा में एकत्रित हुए। जहां कृषि विभाग, खूंटी द्वारा उपलब्ध कराए मुंग बीज का वितरण एसपी अमन कुमार और केबीके अध्यक्ष डॉ दीपक राय ने किया।

ग्रामीणों को संबोधित करते हुए एसपी अमन कुमार ने कहा कि अफीम की खेती अर्थात जहर की खेती। खूंटी में अफीम की खेती होती है और दूसरे जिलों और राज्यों में इसका सेवन कर बच्चे मर रहे हैं। जिस दिन खूंटी में लोग अफीम का सेवन करने लगेगें, उस दिन यहां की स्थिति भयावह हो जाएगी। हंड़िया-दारू, सिगरेट का नशा तो लोग छोड़ सकते हैं, लेकिन अफीम का नशा मरने के बाद ही छूटता है।

एसपी ने कहा कि आज एक सर्वे में यह बातें सामने आई है कि वैसे गांव जहां अफीम की खेती होती है, उन गांवों में अन्य गांवों की तुलना में लोगों की मौत ज्यादा हो रही है। सुरूंदा ग्रामसभा के निर्णय का स्वागत करते हुए एसपी ने कहा कि अभी सिंचाई के लिए बने बोरीबांध में जिला पुलिस ने मदद की। आगे भी बीज उपलब्ध कराने समेत अन्य कृषि योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उपायुक्त लोकेश मिश्रा से बातचीत की जाएगी।

कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दीपक राय ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र सुरूंदा गांव के किसानों को वैज्ञानिक तरिके से खेती करना सिखाएगी। उन्होंने कहा है कि जब किसान मुंग का बीज बोएंगे, तब वैज्ञानिक गांव में आकर उन्हें तरिका सिखाएंगे। एक वर्ष में तीन फसलों की खेती करने का तरिका बताया। कहा कि धान की खेती में समय पकड़ना बहुत महत्वपूर्ण है। बारिश आने से पहले नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए। जैसे ही पहली बारिश हो खेतों में रोपनी का काम कर लेना चाहिए। इससे सितंबर महीने में धान की फसल तैयार हो जाएगी। तब दूसरी फसल आसानी से की जा सकेगी। उन्होंने मोटे अनाजों में मड़ुआ और मक्का की खेती पर जोर दिया। बताया कि जल्द ही मड़ुआ से बिस्किट व ब्रेड बनाने के यूनिट यहां लगाए जाएंगे। उन्होंने किसानों को समुह बनाकर खेती करने की सलाह दी।

अफीम की खेती को त्यागकर वैकल्पिक खेती की ओर बढ़े गांव के लोगों में उत्साह है। सुबह भंडारी के द्वारा हंकवा लगाया गया। हाथों में कुदाल, गैंता व बेल्चा लेकर सुरूंदा-मुरहू नाला की ओर निकल पड़े। कुछ लोग भोजन पकाने में जुट गए। महिलाएं और बच्चों को भी इस कार्य में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते देखा गया। बोरीबांध बनने के बाद सभी ग्रामीणों ने सामुहिक रूप से भोजन किया। जिसके बाद नाच-गाना भी हुआ।

श्रमदान करने में ग्रामप्रधान जोहन मुंडू, सवना मुंडू, गंगू मुंडू, बेन्जामिन मुंडू, मतियस मुंडू, पौलीना मुंडू, भोंदो मुंडू, डीबर मुंडू, संजीत सिंह, महेश सिंह, नेहमिया मुंडू, अब्रहाम पाहन, सुरेश मुंडू, मंगरा मुंडू समेत जिला पुलिस केंद्र, खूंटी से आए जवान और सुरूंदा ग्रामवासी शामिल थे।

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