- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोटेक किसान मेला का दूसरा दिन
रांची। रांची कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र की कैंसर विशेषज्ञ डॉ रजनीगंधा टुडू ने कहा है कि भारत में ह्रदय रोग के बाद कैंसर मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। कैंसर के सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत मामले ही आनुवंशिक कारणों से होते हैं। शेष 80 प्रतिशत मामले जीवन शैली जनित होते हैं।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोटेक किसान मेला के दूसरे दिन महिला कृषक गोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कैंसर रोग के लक्षण और इससे इससे बचाव के उपायों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। डॉ टुडू ने कहा कि कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है, किन्तु महिलाओं में स्तन और गर्भाशय का कैंसर एवं पुरुषों में मुंह और फेफड़े का कैंसर अधिक होता हैI
डॉ टुडू ने कहा कि रोग के लक्षणों के प्रति जागरूक रहकर, धूम्रपान एवं शराब का पूर्ण त्याग कर, हरी सब्जी एवं फलों का नियमित सेवन बढ़ाकर, प्रसंस्कृत एवं जंक फ़ूड की मात्रा घटाकर इस बीमारी की आशंका को कम किया जा रहा है। इसके लिए हमें दैनिक रूटीन में व्यायाम शामिल करना होगा। एक स्थिर वजन मेंटेन करना और हेपटाइटिस बी एवं सी का टीका लेना होगा।
डॉ टुडू ने कहा कि इस रोग के लक्षणों के प्रति सचेत रहकर शरीर में इसकी जगह बनाने पर प्राथमिक स्टेज में चिन्हित किया जा सकता है। इससे समय से उपचार प्रारंभ कर इस रोग का से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा कि देश को बढाने के लिए महिलाओं को शिक्षित एवं आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। महिलायें शिक्षित होंगी तो पूरे परिवार का शैक्षिक एवं संस्कारिक स्तर सुदृढ़ होगा।
बीएयू की सामुदायिक विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ रेखा सिन्हा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति वर्ष 60 करोड़ लोग यानी प्रत्येक 10 में से 1 व्यक्ति दूषित खाद्य जनित रोगों से ग्रसित हो रहे हैं। इसलिए खान-पान के प्रति सावधानी रखना जरूरी है। उन्होंने पोषक आहार के घरेलू स्रोतों पर भी प्रकाश डाला। डॉ किरण सिंह, डॉ निभा बाड़ा, डॉ विशाखा सिंह आदि ने महिला कृषकों को खेती एवं पशुपालन की उन्नत तकनीकों की जानकारी दी।
इस अवसर पर नवोन्मेषी कृषि के लिए एक दर्जन से अधिक महिला कृषकों को सम्मानित किया गया।
अपराहन में पशु-पक्षी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसका उदघाटन राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान, नामकुम के निदेशक डॉ अभिजीत कर ने किया। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल मार्केट में निर्यात के लिए खाद्य की उच्च गुणवत्ता और सर्टिफिकेशन आवश्यक है, किन्तु आज तक झारखंड स्टेट में एक भी रेफरल लैबोरेट्री नहीं है। हमारा संस्थान राज्य में इस तरह का फूड और पैकेज टेस्टिंग लैबोरेट्री स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। इसका फायदा पूरे पूर्वी भारत के लोग उठा सकेंगे। उन्होंने प्रदर्शनी के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किया।
पशु-पक्षी प्रदर्शनी में आसपास के गांवों के किसानों ने सैंकड़ों की संख्या में अपने उन्नत नस्ल के गाय, भैंस, बकरी, भेड, सूअर आदि लाये थे। मंच पर विश्वविद्यालय के डीन डॉ सुशील प्रसाद, डॉ एमएस मलिक एवं डॉ डीके शाही भी उपस्थित थे। आयोजन का समन्वयन प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव और संचालन शशि सिंह ने किया।
10 फरवरी को समापन समारोह
मेला का समापन समारोह 10 फरवरी को अपराहन 2.30 बजे होगा। इसके मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार होंगे। विधान सभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो और कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीख पी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
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