गुमला। चैनपुर अनुमंडल क्षेत्र की गोविंदपुर पंचायत स्थित राटा माटी पुल का अस्तित्व खतरे में है। पुल के निकटवर्ती क्षेत्र में बालू उठाव का कार्य जल्द नहीं रोका गया, तो यह कभी भी धराशायी हो सकता है। लावा नदी पर बना यह पुल झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा के समीप स्थित है। इसकी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है।
स्थानीय लोगों अनुसार पुल के पिलर के पास अवैध रूप से बालू खनन और उठाव का कार्य तेजी से चल रहा है। यह पुल की संरचना को कमजोर कर रहा है। बालू खनन का कार्य दिन-रात, खासकर रात के अंधेरे में ट्रैक्टरों के माध्यम से किया जा रहा है। सूचना के बाद भी खनन विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
पुल का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। यह कार्य 2018 में शुरू होकर 2021 में पूर्ण हुआ। यदि बालू उठाव का कार्य इसी तरह जारी रहा, तो पुल अचानक धराशायी हो सकता है। सख्ती के बाद छत्तीसगढ़ के बालू माफिया ने झारखंड की गोविंदपुर पंचायत के कमलपुर और तिगरा बालू घाट पर बालू उठाने का कार्य बंद कर दिया है। हालांकि, राटा माटी बालू घाट पर यह कार्य जारी है।
माफिया यह दावा कर रहे हैं कि वे बालू का उठाव छत्तीसगढ़ से कर रहे हैं, जबकि लावा नदी पुल का निर्माण झारखंड सरकार द्वारा किया गया है। अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह पुल ना केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
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