- कहा, छोटानागपुर टेंडेंसी एक्ट 1908 में कुड़मी को बताया गया है आदिवासी रैयत
रांची। आजसू पार्टी के वरीय उपाध्यक्ष व गिरिडीह के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने लोकसभा में कुड़मी को एसटी में शामिल करने का मामला उठाया। केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम से यह जानना चाहा है कि किन कारणों से कुड़मी समुदाय को 1931 के ट्राइब्स में शामिल होने के बावजूद 1950 में शेड्यूल ट्राइब्स नहीं बनाया गया।
सांसद ने कहा कि अखंड भारत में पहले हुए जनगणना में ही कुड़मियों/कुरमी को झाड़ी ट्राइब्स और वुड ट्राइब्स चिन्हित किया गया था। इस जनगणना के बाद ही वृहद छोटानागपुर शेड्यूल डिस्ट्रिक्ट घोषित कर शेड्यूल डिस्ट्रिक्ट एक्ट 1874 पारित किया गया था, जो 25 नवंबर 1949 तक लागू था। इस वृहद छोटानागपुर में कुड़मी जनजाति की आबादी सभी जनजाति से अधिक था।
सांसद ने कहा कि बिहार उड़ीसा प्रांत बनने के पूर्व ही छोटा नागपुर टेंडेंसी एक्ट 1908 पारित किया गया जिसमें कुड़मी को आदिवासी रैयत कहा गया था। वर्ष, 1911 की जनगणना में कुड़मी को आदिवासी लिखा गया। 1913 में कुड़मी आदिवासी रैयत होने के कारण अन्य 12 जनजाति के साथ इन्हें भी भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1865 से अलग रखा गया, क्योंकि यह सभी जनजाति का अपना-अपना कस्टम है। उसी से यह लोग गाइड होते हैं।
सांसद ने कहा कि ट्राइब्स लोगों का वही एकमात्र पहला और अंतिम कस्टम नोटिफिकेशन है। 1950 में जिस तरह से 1931 के ट्राइब्स को ही शेड्यूल ट्राइब्स बनाया गया, परंतु सभी ट्राइब्स को आज तक शेड्यूल ट्राइब्स नहीं बनाया गया है।
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