दर्शन और साहित्य एक दूसरे के पूरक है :  डॉ बीपी सिन्हा

झारखंड
Spread the love

  • झारखंड फिलोसोफिकल फोरम का एक दिवसीय सेमिनार

रांची। दर्शन के बिना साहित्य अधूरा है और साहित्य के बिना दर्शन। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। उक्त विचार रांची विश्वविद्यालय के मास कॉम विभाग के निदेशक डॉ बीपी सिन्हा ने व्यक्त की। वे झारखंड फिलोसोफिकल फोरम के तत्वावधान में दीपटोली स्थित होटल द प्लेटो में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में बोल रहे थे। सेमिनार का विषय ‘साहित्य में दर्शन विशेष संदर्भ -अंग्रेजी उपन्‍यासकार आरके नारायण के उपन्यास द गाइड’ था।

फोरम के सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिन्हा ने फ़िल्म गाइड के क्लिप्स को दिखा कर जीवन के दार्शनिक विचारधाराओं को व्यावहारिक रूप में अभिव्यक्त किया। उन्होंने कहा कि फिल्म का डायलॉग ना खुशी है, ना गम है, ना इंसान है ना भगवान, सिर्फ मैं हूं, मैं हूं। मैं ही सम्पूर्ण जीवन का सार हूं।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ अशरफ बिहारी ने कहा कि फोरम का उद्देश्य दर्शन को आम भाषा में आम जनों तक पहुंचाना है। विषय प्रवेश सेमिनार की संयोजक डॉ जेनेट एंड्रयू शाह ने कराया। संरक्षक डॉ श्रीमती सरस्वती मिश्रा ने दर्शनशास्त्र को सभी भाषाओं की जननी के रूप में स्पष्ट किया।

कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट दिया गया। फोरम की उपाध्यक्ष डॉ सविता मिश्रा ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर सह सचिव डॉ प्रमोद सिंह, कोषाध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार गुप्ता, सह प्राध्यापक डॉ अजय कुमार सिंह, डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ आभा झा, डॉ सोनी सिंह, डॉ मल्लिका, डॉ पानों सहित रांची विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के शोध कर रहे छात्र एवं छात्राओं ने भी सशक्त तरीके से विषय को रखा।

खबरें और भी हैं। इसे आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल dainikbharat24.com पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं। नोटिफिकेशन को अलाउ कर खबरों से अपडेट रह सकते हैं। सुविधा के अनुसार अन्‍य खबरें पढ़ सकते हैं।

आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल से फेसबुक, इंस्‍टाग्राम, x सहित अन्‍य सोशल मीडिया के साथ-साथ सीधे गूगल हिन्‍दी न्‍यूज पर भी जुड़ सकते हैं। यहां भी खबरें पढ़ सकते हैं। अपने सुझाव या खबरें हमें dainikbharat24@gmail.com पर भेजें।

हमसे इस लिंक से जुड़े
https://chat.whatsapp.com/KFx4zY9YysxKWCO5Z8HWlj

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *