नई दिल्ली। जिस बात का अंदेशा था, वही हुआ। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर ईवीएम एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, मंगलवार को हरियाणा विधानसभा चुनावों की मतगणना में पोस्टल बैलेट की गिनती में कांग्रेस को भारी बढ़त मिल रही थी। लेकिन ईवीएम खुलते ही मामला बदल गया। कांग्रेस पिछड़ने लगी और बीजेपी आगे निकल गई।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर ईवीएम ट्रेंड करने लगी। यह पहला मौका नहीं है, जब ईवीएम निशाने पर आई है। पहले भी विपक्ष कई बार अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ चुका है।
बता दें कि, ईवीएम के आने से वोटिंग की प्रक्रिया तेज और आसान हो गई। पहले मतपत्रों की गिनती में कई-कई दिन लगा करते थे, जिससे रिजल्ट भी देरी से आते थे। अब ईवीएम मशीन के जरिए मतों की गिनती तेजी से होती है और जल्दी रिजल्ट आ जाता है।
एक अनुमान के मुताबिक पहले देश में आम चुनाव में ही 10,000 टन कागज की खपत होती है। इसकी छपाई, ढुलाई और वितरण पर काफी खर्च आता था। देश में ईवीएम का पहली बार यूज 1982 में प्रयोग के तौर पर हुआ था।
बात वही है, चुनाव जीतने के बाद इस ईवीएम नामक मशीन याद नहीं आती, पर चुनाव हारते ही बेचारी दोषी हो जाती है। ऐसा पहले भी और आज भी हो रहा है।