सेक्स वर्करों को किया गया सामाजिक, मानसिक व कानूनी रूप से जागरूक

झारखंड
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  • नये कानून में किसी भी जिला या राज्य से करा सकते हैं एफआईआर

रांची। एनजीओ ज्वाला शक्ति समूह (सृजन फाउंडेशन) ने डालसा, रांची से समन्वय स्थापित कर सेक्स वर्करों के अधिकारों के संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन कचहरी रोड स्थित होटल राज रेजिडेंसी में शनिवार को किया गया। इसमें लगभग 30 सेक्स वर्करों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर डालसा सचिव कमलेश बेहरा, रिनपास की डॉ मनीषा किरण, महिला थाना प्रभारी प्रिया साव, डीसीपीयू से आये प्रोटेक्शन ऑफिसर अलकमा सिकन्दर, एनजीओ श्रीजन फाउंडेशन के निदेशक सोपन मन्ना, एनजीओ की एक्टिव कार्यकर्ता पुष्पा शर्मा, एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, बाल कल्याण समिति की सदस्‍य अंशुमाला कर्ण, विनय कुमार श्यामा एवं अन्य पैनल अधिवक्ता सोषण नाग, ममता कुमारी, आरती ललन गुप्ता, उर्मिला रोशन एक्का, पुष्पावति कुमारी एवं पीएलवी उपस्थित थे।

डालसा सचिव कमलेश बेहरा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बुद्धदेव कर्मास्कर बनाम यूनियम ऑफ इंडिया में दिये गये आदेश पर चर्चा करने की बात कही। सदस्य बाल कल्याण समिति की सदस्‍य अंशुमाला कर्ण ने कहा कि यौनकर्मी ऐसे सदस्य, जो अपने बच्चों का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं। अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे है। सीडब्ल्यूसी से सम्पर्क कर छात्रवृत्ति योजना का लाभ ले सकते है।

डॉ मनीषा किरण ने कहा कि शारीरिक रोग होने से उसका पता लगाया जा सकता है, लेकिन मानसिक रोग का आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए रिनपास सदैव कार्यरत है। काउंसेलिंग के माध्यम से बीमारी का पता लगाया जा सकता है। उसका समाधान भी किया जा सकता है। सभी सेक्स वर्करों के साथ अपना हेल्पलाईन नम्बर साझा किया। फोन पर भी काउंसेलिंग की उपलब्धता के बारे में बताया।

सृजन फाउंडेशन की एक्टिव कार्यकर्ता पुष्पा शर्मा ने रांची में रह रहे सेक्स वर्करों के लिए किये गये कार्य की चर्चा की। सेक्स वर्करों के लिए आधार कार्ड, वॉटर आई.डी. कार्ड, स्पॉंसर स्कीम, सेक्स वर्करों के बच्चों को आवासीय विद्यालय में दाखिला से संबंधित एवं सेक्स वर्करों के अधिकारों के संरक्षण के लिए लिये गये कदमों की विस्तृत जानकारी दी।

महिला थाना प्रभारी प्रिया साव ने कहा कि नये कानून में महिलाओं को अनेक अधिकार दिये गये है। नये कानून में जो बदलाव किये गये हैं, उसके अंतर्गत आप किसी भी जिला या राज्य से एफआईआर दर्ज करा सकते है। इसे जीरो एफआईआर कहते है, जो संबंधित घटनास्थल के थाना में भेज दिया जाता है। उन्होंने सेक्स वर्करों से कहा कि अगर किसी तरह का अत्याचार होता है, तो महिला थाना आपके मदद को तत्पर है। उन्होंने अपना हेल्पलाईन नम्बर भी साझा किया। नाम गुप्त रखकर कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने उपस्थित सेक्स वर्करों को उनके अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया। संविधान के द्वारा दिये गये व्यवसाय के अधिकार, मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार और कानून में समानता का अधिकार के संबंध में वहां पर उपस्थित सेक्स वर्करों को जानकारी प्रदान किये।

अंत में सभी सेक्स वर्करों ने एक-एक कर अपनी समस्याओं को मंच पर रखा। इसका संज्ञान लिया गया। उसका निराकरण के लिए कदम उठाने की बात मंच द्वारा की गयी। धन्यवाद सृजन फाउंडेशन की कार्यकर्ता पुष्पा शर्मा ने किया।

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