कोलकाता। बड़ी खबर कोलकाता से आ रही है, जहां आरजी कर कॉलेज एंड हॉस्पिटल से जुड़ी जांच की आंच का सामना कर रहे पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गुरुवार को एक और झटका लगा है। खबर है कि उनका मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है। खास बात है कि किसी चिकित्सक को मरीज के इलाज के लिए लाइसेंस की जरूरत भी होती है।
पश्चिम बंगाल चिकित्सा परिषद ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष का पंजीकरण गुरुवार को रद्द कर दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। घोष, आरजी कर अस्पताल में महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से कथित दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में इस समय केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं।
डब्ल्यूबीएमसी की तरफ से तैयार की जाने वाली रजिस्टर्ड डॉक्टरों की सूची से घोष का नाम हटा दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि घोष का लाइसेंस बंगाल चिकित्सा अधिनियम 1914 के विभिन्न प्रावधानों के तहत रद्द किया गया। उन्होंने बताया कि घोष ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं और बिना लाइसेंस वह इलाज नहीं कर सकेंगे।
बता दें कि, सीबीआई ने अनियमितताओं में कथित संलिप्तता के मामले में गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी ड्यूटी पर तैनात महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के विरोध के बाद हुई। बाद में उन पर मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप भी लगाया गया।
महिला चिकित्सक की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स में प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे अनिकेत महतो ने इस कदम को ‘जीत’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘यह हमारी मृत बहन के लिए जीत है।
घोष का चिकित्सा पंजीकरण उनकी गिरफ्तारी के साथ ही रद्द कर दिया जाना चाहिए था। हम खुश हैं कि पश्चिम बंगाल चिकित्सा परिषद ने अंतत: यह कदम उठाया है।’
घोष को फरवरी 2021 में आरजी कर चिकित्सा महाविद्यालय का प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया था। विरोध प्रदर्शन के बीच उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।