नई दिल्ली। बड़ी खबर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से आई है। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आइए जानें क्या है पूरा मामला…
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित को विलंबित मुआवजे पर 6 सप्ताह के भीतर ब्याज का भुगतान करे। अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता और उसके परिवार को पहले दंगाइयों के हाथों और फिर असंवेदनशील प्रशासन के कारण कष्ट सहना पड़ा।
वहीं, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ पीड़ित की अपील पर विचार करते हुए केंद्र सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसमें कहा गया था कि वह ब्याज पाने का हकदार नहीं है।
न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अनुग्रह मुआवजे को मंजूरी देने वाली नीति में देरी से भुगतान पर ब्याज का कोई घटक शामिल नहीं था। लेकिन अदालत द्वारा इस मामले में इसे दिया जा सकता है, क्योंकि नीति, जिसे 1984 के दंगा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए लाया गया था, को निरर्थक नहीं बनाया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि इस मामले में आठ अप्रैल, 2016 को अपीलकर्ता को जारी किए गए एक लाख रुपये के अनुग्रह मुआवजे पर पुनर्वास नीति जारी होने की तारीख 16 जनवरी, 2006 से 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगेगा।
अपीलकर्ता ने दावा किया कि 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शाहदरा में उनके घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई थी और उनके पिता ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।