नई दिल्ली। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और माइनिंग कंपनियों को तगड़ा झटका दिया है। इसका फायदा झारखंड समेत कई राज्यों को मिलेगा। आइए जानें पूरा मामला…
सुप्रीम कोर्ट के फैसला के बाद अब झारखंड सरकार को खनन कंपनियों से बकाये का 1.36 लाख करोड़ रुपये मिलने का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय खंडपीठ ने इस आशय का निर्णय दिया है। इस फैसले के बाद एक अप्रैल 2005 के बाद से केंद्र और खनन कंपनियों से राज्य सरकार पिछला बकाया वसूल सकेगी।
बता दें कि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार केंद्र सरकार से 1।36 लाख करोड़ रुपये रायल्टी बकाया के भुगतान की मांग उठाते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे राज्य की बड़ी जीत बताया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आभार जताते हुए कहा कि कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से हमारी लगातार मांग सफल हुई है।
अब झारखंड को केंद्र से अपने बकाये के एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। हर झारखंडी के इस बकाये व अपने अधिकार को लेकर आपकी अबुआ सरकार लगातार आवाज बुलंद कर रही थी। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है।
महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद ये दिन आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की जनता के हित में फैसला सुनाया है। बकाया राशि को लेकर बार-बार केंद्र सरकार के पास गुहार लगाने के बावजूद भी कोई असर नहीं पड़ रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य का हक-अधिकार देने का काम किया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बकाये राशि को लेकर देश के प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक से फरियाद लगाई थी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से झारखंड के साथ दूसरे खनन वाले राज्यों को भी फायदा होगा। अब राज्य खनन वाली कंपनियों पर टैक्स लगा पाएगी।
बकाया राशि के भुगतान से राज्य की विकास योजनाओं को गति मिलेगी। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार प्रदेश की जनता के लिए और भी कई नई कल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ करने की ओर कदम बढ़ा पाएगी।