- लोक स्वास्थ्य संस्थान नामकुम में किशोर स्वास्थ्य पर दो दिनी राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शुरू
रांची। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य नोडल पादधिकारी डॉ लाल माझी ने कहा है कि किशोरवास्था से संबंधित बहुत सारी समस्याओं का निराकरण अच्छे मार्गदर्शन, परामर्श और काउंसिलिंग से किया जा सकता है। स्वास्थ्य टीम से उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में होने वाले बदलावों की चर्चा किशोरों से करें। उन्हें दूसरे साथियों से सकारात्मक चर्चा के लिए जागरुक करें। किशोर मित्र किशोरों के लिए संदेशवाहक के रूप में कार्य करें। इससे किशोरों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल हो सके। नामकुम स्थित लोक स्वास्थ्य संस्थान के सभागार में मंगलवार को वह राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) की ओर से आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
गुमला, लोहरदगा, दुमका और हजारीबाग जिलों से आए आरकेएसके ब्लॉक ट्रेनिंग टीम (बीटीटी), एएनएम, आरकेएसके को-ऑर्डिनेटर और डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को-ऑर्टिनेटर को एडॉलसेंट हेल्थ एंड वेलनेस डे किट से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रह है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सिनी के प्रतिनिधि भी इस प्रशिक्षण में सहयोग कर रहे हैं। इसी विषय पर दूसरे बैच का दो दिनी प्रशिक्षण 21 अगस्त से आरंभ होगा। इसमें साहिबगंज, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम और सिमडेगा के बीटीटी, एएनएम, डीपीसी और आरकेएसके को-ऑर्डिनेटर को ट्रेनिंग दी जाएगी।
डॉ माझी ने कहा कि 10 से 19 वर्ष तक के आयुवर्ग देश की कुल आबादी का पांचवा हिस्सा है। यह एक बहुत बड़ा अवसर है, जो देश का सामाजिक और आर्थिक भाग्य तो बदल सकता है। भारत में किशोरों की ये बड़ी आबादी यह आवश्यक बनाती है कि राष्ट्र सुनिश्चित करे कि वे जीवंत, रचनात्मक शक्ति बनें, जो स्थायी और समावेशी विकास में योगदान दे सकें। किशोरों को उनकी क्षमता को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास और अन्य क्षेत्रों में निवेश किया जाना चाहिए।
डॉ माझी स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोर-किशोरियों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित करना है। उनके पोषण स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार करना, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना, मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, मादक पदार्थों की रोकथाम हेतु उन्हें जागरुक करना जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। कार्यक्रम में आरकेएसके की राज्य समन्वयक रफत फरजाना ने भी प्रशिक्षणार्थियों को आवश्यक जानकारी दी।
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