- नशे की समस्या पर नियंत्रण हो जाने से अपराध दर में आ सकती है कमी
रांची। संतोष कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग एंड एजुकेशन में आदिवासी दिवस के अवसर पर छात्रों के लिए नशा उन्मूलन पर जागरुकता शिविर का आयोजन 9 अगस्त को किया। लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा, डीएलएसए के राजेश सिन्हा और एनसीबी के मनोहर मंजुल ने नशे के दुरुपयोग और दुष्प्रभावों पर एक सत्र का संचालन किया।
इस अवसर पर अतुल गेरा ने बताया कि कि कैसे साधारण खांसी की सिरप नशे के लिए उपयोग किया जाता है। झारखंड ना केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। नशा करने से व्यक्ति एवं परिवार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ लोगों के लिए नशे की यात्रा 16 वर्ष या इससे कम उम्र से ही शुरू हो जाती है। पुनर्वास केंद्रों की अधिक जनसंख्या उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। यदि रांची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाए तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है। रांची में नशीली दवाओं से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना अधिकारियों को देने की सलाह दी जाती है।
एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य को निर्देशित करता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पेय और नशीली दवाओं के सेवन को औषधीय उद्देश्यों को छोड़कर, समाप्त करने का प्रयास करेगा। अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर मात्रा के आधार पर 20 साल तक कठोर कारावास की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है। कांके के पुनर्वास केंद्रों के साथ-साथ एनजीओ भी नशा करने वालों को ठीक करने में मदद करते हैं।
एलएडीसीएस ने कहा कि सीआईपी और रिनपास में जिला विधिक सेवा प्राधिकार का लिगल एड क्लिनिक है। वहां वैसे नशा करनेवाले व्यक्तियों का इलाज किया जाता है। इसमें प्राधिकार सहायता प्रदान करता है। नशा से संबंधित पदार्थों के बारे में श्री सिन्हा ने विस्तार से बताया। उन्होंने सजा के प्रावधान के बारे में भी बताया।
एनसीबी के मनोहर मंजूल ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए आम जनता के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।
विधि के छात्रा वैश्नवी चौधरी ने संबोधित करते हुए कहा कि नशीली पदार्थे को गोल्डन क्रिस्टन एंड गोल्डन ट्रिएंगल के माध्यम से दूसरे जगह से अवैध तरीके से भारत में लाया जाता है। इससे भारत की युवा पीढ़ी नशे की चपेट में आ रहे। जीवन बर्बाद कर रहे है। नशीली पदार्थो के विरूद्ध मुहिम छेड़ना केवल देश का ही नहीं हैं, बल्कि समाज और आम नागरिक का भी कर्तव्य हैं। देश को नशामुक्त बनाये, जिससे हम और हमारा समाज खुशहाल और स्वस्थ बन सके।
झालसा इंटर्न्स गौरी सिन्हा, वैष्णवी चौधरी, चित्रांश सूरज, अंकिता जायसवाल, खुशी पासवान और श्रुति ऋतम्भरा, पीएलवी सीमा देवी राजेंद्र महतो, बरर्खा तिर्की, मालती देवी एवं राजा वर्मा ने इस जागरूकता कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायता की।
मौके पर संतोष कॉलेज ऑफ नर्सिंग, स्नेहकुल पब्लिक हाई स्कूल, सेंटर फॉर बायोइनफॉर्मेटिक्स (पॉलिटेक्निक कॉलेज) व संतोष कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग एंड एजुकेशन के बीएड एवं डीएलएड विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
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