संत जेवियर इंटर कॉलेज में नशा उन्मूलन पर जागरुकता कार्यक्रम

झारखंड
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रांची। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में संत जेवियर इंटर कॉलेज में नशा उन्मूलन पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन 1 अगस्‍त को किया गया। इस अवसर पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, मध्यस्थ पी.एन. सिंह, लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा, सीआईडी-डीएसपी राजकुमार यादव, डी.एस.पी. (सि‍टी) अनुज उरांव, पीएलवी भूप्रताप महतो, मानव कुमार, संगीता सिंह, संगीता देवी एवं संत जेवियर इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक, शिक्षक-शिक्षिकाए व अन्य उपस्थित थे।

इस अवसर पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने मानव औषधियां और मनःप्रभावी पदार्थ-1985 के अधीन अफीम, गांजा, हिरोईन, ब्राउन शुगर का व्यापार करना और अफीम की खेती करने से संबंधित अपराध के बारे में जानकारी दी। औषधि और प्रसाधन सामाग्री अधिनियम 1940 के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया। इसके अलावा एनडीपीएस, एनसीबी और संविधान के अनुच्छेद – 47 के संबंध में फोकस किया। एलएडीसी ने कहा कि पान, गुटखा, खैनी इत्यादि से नशा का शुरुआत होती है। सजा को स्मॉल, इंटरमीडिएट, कमर्शियल में बांटा गया है। इसमें 2 से 10 साल की सजा और 2 लाख का जुर्माना भी है।

मध्यस्थ पी.एन. सिंह ने कहा कि नशा हम सब के लिए एक अभिशाप है, जो हमारे समाज में आम है। अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा जैसे अन्य शारीरिक परिणामों का शिकार हो जाते हैं। आजीवन नशे की लत में रहते हैं। नशा मुक्ति का अर्थ होता है किसी व्यक्ति या समाज को नशे से मुक्त करना अर्थात नशे का सेवन करने से बचाव या उसकी नशा को दूर करने का प्रयास है। ड्रग्स लेने से मस्तिष्क खराब हो जाता है। सोचने की क्षमता समाप्त हो जाता है। 

सीआईडी-डीसपी राजकुमार यादव ने कहा कि नशा से शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक हानि होता है। नशा में व्यक्ति चोरी करना शुरू कर देता है। नशा की चपेट में आकर नशीली पदार्थों का सेवनकर युवा वर्ग अपने अनमोल जीवन को नष्ट कर रहे है। नशा से पूरा घर-परिवार बरबाद हो जाता है। नशा की रोकथाम के लिए कई कार्य विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है।

लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा ने कहा कि नशा ना कर मनुष्य स्वस्थ रहता है। नशा शरीर की गुणवत्ता को समाप्त कर देता है। इसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है। नशा से परिवार का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति होती है, जिसका भरपाई कदापि‍ नहीं की जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि नशा के आदि व्यक्ति का पूरा पैसा नशा करने में खर्च होता है, जिसका प्रभाव उसके परिवार पर पड़ता है। परिवार नष्ट हो जाता है। नशा का आदि व्यक्ति पागलों की तरह इधर-उधर घूमता रहता है, जिससे उसका मान-सम्मान भी समाप्त हो जाता है।

छात्र-छात्राओं को 14 सितंबर को होनेवाले राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी बताया गया। उनके बीच नशा से संबंधित लिफलेट और पम्पलेट का वितरण भी किया गया।

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