रांची। गोस्सनर कॉलेज के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में हूल दिवस दिवस के अवसर पर परिचर्चा/ संगोष्ठी का आयोजन 2 जुलाई को किया गया।
कार्यकम में इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रो अनिता अंजू खेस ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता की पहली लड़ाई 1857 में हुई। हालांकि झारखंड में इसकी शुरुआत 1855 में हो गई थी। इस विद्रोह में 10 हजार से भी अधिक लोग मारे गए। यह विद्रोह जालियांवाला बाग से भी भयावह था। महान चिंतक कार्ल मार्क्स ने इसे प्रथम जनक्रांति कहा।
मौके पर सहायक प्रो. सह इंटर आर्ट्स इंचार्ज डा. बलबीर केरकेट्टा ने हूल पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि हूल विद्रोह संथातों द्वारा जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेज़ी सत्ता के खिलाफ लड़ा गया था। इसी के बाद संथात परगना टेंडेंसी एक्ट पारित किया गया।
डॉ. नीलिमा सिन्हा ने कहा कि हूल दिवस के अवसर पर हमारे आंदोलनकारियों की शहादत को याद करने की जरूरत है। यह विद्रोह अन्याय और दासता से मुक्ति की विजय गाथा का दिवस है।
कार्यक्रम का संचालन इतिहास विभाग की सहायक प्रो सीमा टेटे ने की। धन्यवाद डॉ. नीलिमा सिन्हा ने किया। कार्यक्रम में स्नातक सेम 2 के शिवम भगत, समीर केरकेट्टा, नेहा कुमारी, ज्योति खलखो आदि ने भी विचार रखे।
मौके पर इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो अनिता अंजू खेस, डॉ बलबीर केरकेट्टा, डॉ नीलिमा सिन्हा, डॉ सीमा टेटे, प्रो आइजक कांडुलना सहित स्नातक और स्नातकोत्तर के सभी विद्यार्थी मौजूद थे।
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