रांची। स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 12 से 14 जुलाई, 2024 तक रांची के मोरहाबादी मैदान में तरंग मेला का आयोजन किया है। इसका उद्घाटन केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और सांसद संजय सेठ ने 12 जुलाई को किया। उद्घाटन कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.सी. दुबे, झारखंड राज्य सहकारी बैंक की अध्यक्षा श्रीमती बिभा सिंह, प्रेस क्लब के प्रकाश सहाय, महाप्रबंधक (एसएलबीसी) एस सुब्रमनियन आदि मौजूद थे।
झारखंड के सभी 24 जिलों और आसपास के 5 राज्यों के एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) के किसान सदस्यों ने मेले में अपने हस्तनिर्मित शिल्प, कृषि उपज और पारंपरिक सामान का प्रदर्शन किया। स्थापना दिवस के अवसर पर अतिथियों ने ‘नाबार्ड इन झारखंड’ नामक पुस्तक का भी विमोचन किया, जो 2023-24 में झारखंड में नाबार्ड की उपलब्धियों का संकलन है।
इस अवसर पर संजय सेठ ने कहा कि झारखंड में किसानों के कल्याण के लिए काम करने की अभी भी बहुत गुंजाइश है। मंत्री ने झारखंड के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले गोला दर्पण एफपीसीएल (रामगढ़), स्नेहलता एफपीसीएल (रामगढ़), आरोही एफपीसीएल (गिरिडीह), निरसा नूपुर एफपीसीएल (धनबाद), एलंगडोलंग एफपीसीएल (पश्चिम सिंहभूम) को सम्मानित किया।
नाबार्ड, झारखंड के मुख्य महाप्रबंधक एस.के. जहागीरदार ने बताया कि झारखंड को कुल वित्तीय सहायता वित्त वर्ष 2023-24 में ₹6200 करोड़ की अभूतपूर्व राशि को छू गई है। उन्होंने कहा कि ‘तरंग मेला’ ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। झारखंड में अब तक 1.17 लाख से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को 237 एफपीओ में संगठित किया जा चुका है।
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत सिन्हा ने इस आयोजन के लिए नाबार्ड की सराहना की और बिचौलियों से बचकर किसानों को शहर में उपभोक्ताओं से जुड़ने में मदद की, जिससे उपज के लिए सही दरें सुनिश्चित हुईं।
बीएयू के कुलपति डॉ. एससी दुबे ने राष्ट्र के विकास बैंक के रूप में अपनी जगह पक्की करने के लिए नाबार्ड को बधाई दी। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद से नाबार्ड झारखंड के विकास में एक महत्वपूर्ण कड़ी रहा है।
तरंग मेले का उद्देश्य झारखंड के कारीगरों, किसानों और लघु उद्यमियों पर विशेष ध्यान देते हुए ग्रामीण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविध आर्थिक गतिविधियों का जश्न मनाना और उनका समर्थन करना है। यह कार्यक्रम ग्रामीण उद्यमियों और हितधारकों को सहयोग और व्यावसायिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए उद्योग विशेषज्ञों से जुड़ने के लिए नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करेगा।
तरंग मेलों के तीनों दिन शाम 6.30 बजे से 8.30 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शामें जीवंत हो उठेंगी। आगंतुक झारखंड के कलाकारों के संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के साथ पारंपरिक व्यंजनों का आनंद ले सकेंगे।
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