टीआरएल संकाय में मनी डॉ बीपी केशरी की 91वीं जयंती

झारखंड
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  • कुलपति ने कहा- भौतिक सुख सुविधा से कोई लेना देना नहीं था डॉ केशरी को

रांची। जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के नागपुरी विभाग में डॉ. बीपी केशरी की 91वीं जयंती समारोह पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन 1 जुलाई को किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ बीपी केशरी की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर किया गया। बुद्धेश्वर बड़ाईक, चन्द्रिका कुमारी, सुरेश कुमार महतो एवं ग्रुप ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अजीत कुमार सिन्हा ने डॉ बीपी केशरी से जुड़ी यादों को साझा कि‍या। कहा कि डॉ केशरी की सोच बहुत उच्च कोटि की थी। एक सादा जीवन, कर्मठ व्यक्ति,  जिन्हें भौतिक सुख से कोई लेना देना नहीं था। उन्होंने कहा डॉ केशरी का अनुशरण कर हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने संकाय के शिक्षकों को वर्तमान नौ भाषाओं के अतिरिक्त अन्य झारखंडी भाषाओं में भी पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए प्रपोजल बनाकर 12 जुलाई से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपने की बात कही, ताकि विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के दिन घोषणा कर मूर्त रूप दिया जा सके।

झारखंड राज्य खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो त्रिवेणी नाथ साहु ने डॉ बीपी केशरी के सानिध्य में एक छात्र के रूप में बिताये पलों को साझा किया। कहा कि डॉ केशरी पूरे समाज को एक साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति थे। उन्‍होंने पांत की भावनाओं से उपर उठकर काम किया। साहित्यिक आंदोलन छेड़ा। झारखंड आंदोलन को इनके लेखनी से बल मिला। इनके नाम के बगैर झारखंड आंदोलन अधूरा होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता, फिल्ममेकर व झारखंड आंदोलनकारी मेघनाथ ने अपने साथी डॉ केशरी के साथ जेल में बिताये क्षणों को साझा करते हुए कहा कि डॉ केशरी, आन्दोलनकारी, साहित्यकार, चिंतक, इतिहासकार के साथ ही साथ एक राजनीतिक संत भी थे। उन्होंने कहा कि झारखंड की मुक्ति की लड़ाई आज भी जारी है, जो डॉ केशरी ने शुरू की थी।

टीआरएल संकाय के पूर्व समन्वयक डॉ हरि उरांव ने केशरी जी के छात्र व सहयोगी के रूप में बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि डॉ केशरी का नजरिया एकदम अलग था। उन्होंने कहा कि डॉ केशरी की सोच बहुत उंची थी। अपने छात्र छात्राओं को वे अपने बराबर समझते थे। समन्वय के साथ भाषा, साहित्य और संस्कृति को मजबूती के साथ साथ दिशा देने का काम किया।

नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सविता केशरी ने कहा कि डॉ केशरी स्वप्न दर्शी और सत्य के पुजारी थे। झारखंडी समाज समाज को आयना दिखाने का काम किया। पुत्री होने के नाते उन्होंने अपने पिता के सम्पूर्ण जीवन व कार्यों को सविस्तार रखा।

इसके अलावा पद्मश्री मधु मंसुरी, पद्मश्री मुकुन्द नायक, क्षितिज कुमार राय, प्रमोद कुमार राय,  डॉ किशोर सुरीन ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। इसका संचालन डॉ उमेश नन्द तिवारी और धन्यवाद डॉ रीझू नायक ने किया।

इस अवसर पर डीएसडब्ल्यू प्रो सुरेश कुमार साहु, डीन डॉ अर्चना कुमारी दुबे, डॉ गीता कुमारी सिंह, कुमारी शशि, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ एन के साहु, डॉ महेश्वर सारंगी, डॉ खालिक अहमद, डॉ हरीश कुमार चौरसिया, डॉ वृन्दावन महतो, राकेश रमण, डॉ विनोद कुमार, महावीर नायक, मनपूरन नायक, डॉ पूनम सिंह चौहान, डॉ सरस्वती गागराई के अलावा टीआरएल संकाय के अन्य शिक्षकगण, शोधार्थी, छात्र छात्राएं, साहित्यकार व कलाकार मौजूद थे।

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