टाटा स्टील आर्काइव्स : टाटा स्टील की विकासशील यात्रा का संरक्षक

झारखंड
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जमशेदपुर। टाटा स्टील आर्काइव्स में कदम रखते ही आप खुद को एक बार फिर से भारत की औद्योगिक क्रांति के जन्मस्थान में पाते हैं। देश के पहले व्यावसायिक आर्काइव्स में से एक, यह एक रियल टाइम कैप्सूल है, जो टाटा स्टील की उल्लेखनीय यात्रा को संरक्षित करता है।

जमशेदपुर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में स्थित यह संग्रह कंपनी के इतिहास, नवाचार और अग्रणी भावना को संरक्षित करने की स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इसकी दीवारों के भीतर 15 लाख मूल दस्तावेज हैं, जो 1890 से 2022 तक कंपनी के विकास की एक आकर्षक झलक पेश करते हैं।

इस संग्रह में जे एन टाटा, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सर एम विश्वेश्वरैया के पत्र हैं। अन्य ऐतिहासिक रूप से संरक्षित दस्तावेजों में टाटा स्टील का प्रॉस्पेक्टस शामिल है, जब कंपनी पंजीकृत हुई थी, इसके अतिरिक्त डाक टिकट, शुरुआती टाऊन प्लानिंग मैप्स, चार्ल्स पेज पेरिन की डायरी और शुरुआती कल्याणकारी योजनाएँ शामिल हैं। इन अभिलेखीय रत्नों को सावधानीपूर्वक संरक्षित किया गया है, जिनमें से कई को डिजिटल भी किया गया है, जिससे उन्हें अधिक सुलभ बनाया जा सके।

टाटा स्टील आर्काइव्स सिर्फ ऐतिहासिक कलाकृतियों का एक संग्रह मात्र नहीं है; वे कंपनी की अद्वितीय सोच और दूरदर्शिता के लिए एक जीवंत प्रमाण हैं। इन हॉल में भारत के औद्योगिकीकरण की धड़कन देखी जा सकती है – आयरन और स्टील मेकिंग का विकास, कंपनी के प्रशासन का व्यवसायीकरण और मानव संसाधन नीतियों का विकास, जिसने कॉर्पोरेट भारत के लिए मानक स्थापित किए हैं।

अभिलेखों में कॉरपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) के प्रति टाटा स्टील की दृढ़ प्रतिबद्धता, महिला कर्मचारियों को अवसर प्रदान करने के इसके प्रयासों और इसके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले समुदायों के मूल ढांचे को आकार देने में इसकी भूमिका को भी दर्शाया गया है। यह नवाचार, सामाजिक प्रभाव और उत्कृष्टता की निरंतर खोज की कहानी है – एक ऐसी कहानी जिसने दुनिया भर के प्रसिद्ध विद्वानों और शोधकर्ताओं के मन को मोहित कर लिया है। यह वह जगह है जहाँ अतीत और वर्तमान मिलते हैं और भविष्य के बीज बोए जाते हैं।

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