- प्रखंड मुख्यालय से पुस्तक स्कूल पहुंचाने का संघ ने किया विरोध
रांची। शिक्षा विभाग के आदेश को सप्लायर ठेंगा दिखा रहे हैं। विभाग ने सप्लायर को पुस्तकें स्कूल तक पहुंचाने का स्पष्ट निर्देश दिया है। आदेश को दरकिनार कर पुस्तकें जीईपीसी सप्लायर के माध्यम से सभी प्रखंड मुख्यालय स्थित बीआरसी केंद्र में भेज रहा है। शिक्षकों से कहा जा रहा है कि यहां से किताबें स्कूल ले जाएं। इससे वे त्रस्त हैं। इसका अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने विरोध किया है।
सरकार प्रदेश के प्राथमिक और मध्य विद्यालय में छात्रों को पठन पठान के लिए नि:शुल्क पुस्तक उपलब्ध करा रही है। सप्लायर ये पुस्तकें सभी प्रखंड मुख्यालय स्थित बीआरसी केंद्र पहुंचा रहे हैं। बीआरसी मुख्यालय से लगभग 30 से 40 किलोमीटर दूर विद्यालय के प्रभारी शिक्षक अपने खर्च पर पुस्तक का उठावकर स्कूल ले जा रहे हैं। पुस्तक स्कूल पहुंचने का खर्च भी बीआरसी वहन नहीं कर रहा है। सप्लायर को स्कूल तक पुस्तकें पहुंचनी हैं। सप्लायर को ठेका पुस्तक स्कूल तक पहुंचाने का ही मिला है। हालांकि वे किताब बीआरसी मुख्यालय में पहुंचाकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
शिक्षा विभाग एक तरफ खूब ढोल पीटता है कि हम प्राथमिक विद्यालय में क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा देने के लिए कटिबद्ध है। हालांकि जब पुस्तक देने की बात आती है, तब यह बात हवा हवाई हो जाता है। प्रखंड कार्यालय कहता है कि जो किताब है, ले जाएं। छपाई करने वाले की पुस्तक विद्यालय तक पहुंचाने की जिम्मेवारी रहती है, लेकिन प्रखंड कार्यालय में पुस्तकों का भंडारण किया जाता है। परिणाम यह होता है कि कई बार क्लास छोड़कर शिक्षक किताब उठाने स्कूल से कोसों दूर से प्रखंड मुख्यालय आते हैं। वहां जाने के बाद भी कभी दो क्लास, तो कभी एक क्लास की पुस्तक मिलती है।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि बीआरसी मुख्यालय से पुस्तक उठाव करने का शिक्षकों ने घोर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक बंधुवा मजदूर नहीं हैं। स्कूल से कोसो दूर से शिक्षक कैसे पुस्तक उठाव करे। पुस्तक ले जाने का खर्च कौन उठाएगा। संघ की स्पष्ट मांग है कि पुस्तक विद्यालय तक पहुंचाएं जाएं, क्योंकि विभागीय आदेश स्कूल तक किताब पहुंचाने का है।
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