बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पर्यावरण दिवस पर गोष्ठी और पौधरोपण

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई और वानिकी संकाय के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर ‘भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखापन’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में बिरसा कृषि विद्यालय के कुलपति डॉ सुनील चंद्र दुबे ने कहा कि मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखा एक मूक एवं अदृश्य संकट है। यह लोगों और ग्रह को प्रभावित करता है। चूंकि मानव जीवन को कई आवश्यक गतिविधियों के लिए उपजाऊ और उत्पादक भूमि की आवश्यकता होती है। इसलिए मरुस्थलीकरण सतत विकास के लिए एक बड़ी बाधा है। गरीबी, खराब स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा की कमी, जैव विविधता की हानि, पानी की कमी, जबरन पलायन और जलवायु परिवर्तन या प्राकृतिक आपदाओं के प्रति कम लचीलापन को बढ़ाता है।

डॉ दुबे ने कहा कि अनुमान बताते हैं कि मानव-प्रेरित भूमि क्षरण दुनिया भर में कम से कम 1.6 बिलियन हेक्टेयर को प्रभावित करता है, जिसका सीधा असर 3.2 बिलियन लोगों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा केवल पेड़ पौधे लगाने से ही नहीं होगी। इसके लिए हम लोगों को अपने आसपास के वातावरण को भी सुरक्षित करना होगा। पर्यावरण की सुरक्षा का मतलब मात्र पेड़-पौधा लगाना ही नहीं है। इसमें बिजली बचाना, पानी बचाना भी शामिल है। हम सबों को प्रतिज्ञा लेनी होगी कि अपने घरों के आसपास कम से कम पांच पौधे लगायें एवं उसे संरक्षित रखें।

इस अवसर पर वानिकी संकाय के डीन डॉ एमएस मलिक, कृषि संकाय के डीन डॉ डीके शाही, पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद, एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ बीके झा, डॉ जय कुमार, डॉ बीसी उरांव, डीके रुसिया ने भी अपने विचार व्यक्त किये। गोष्ठी के बाद बीएयू परिसर में काफी संख्या में पौधे लगाये गये। इसमें शिक्षक, वैज्ञानिक और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

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