समेकित मछली पालन मॉडल से हर सालाना संभव है 1 लाख की आमदनी

कृषि झारखंड
Spread the love

  • बीएयू के मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय में मॉडल स्थापि‍त

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित गुमला स्थित मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय में समन्वित मछली-बत्तख-सब्जी की खेती की इकाई स्थापित की गई है। इसमें विद्यार्थियों और किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

महाविद्यालय में एक 30 डिसमिल के तालाब में मछली पालन, बांध पर ही बत्तख पालन का घर बनाकर खाकी कैम्बल जाति का 40 बत्तखों का पालन किया जा रहा है। बांध पर ही पपीता, भिंडी, कद्दू, करेला सेम एवं मिर्च लगाए गए हैं। सब्जियों में भिंडी का उत्पादन आने लगा है। तालाब में प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयर 4300 किलोग्राम मछली का उत्पादन अनुमानित है।

मात्स्यिकी महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि तालाब के जैविक पदार्थ युक्त पानी से सब्जियों को सिंचाई देने के कारण पौधों को अलग से खाद देने की आवश्यकता नहीं होती है। इस विधि में एक का बेकार अवयव दूसरे के लिए उपयोगी हो जाता है, जिससे उत्पादन लागत कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस छोटे तालाब (30 डिसमिल) से विभिन्न स्रोतों द्वारा प्रतिवर्ष एक लाख रुपए से अधिक का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

झारखंड में छोटे-छोटे तालाबों की संख्या काफी है जिसमें मछली उत्पादन से अधिक आमदनी नहीं हो पाती है। इन्हीं तालाबों में समन्वित मछली सह बत्तख पालन एवं सब्जी की खेती की जाय तो किसानों की आमदनी काफी बढ़ जाएगी। उन्हें सालों भर रोजगार भी उपलब्ध होगा।

इस व्यवस्था में बत्तख के मल-मूत्र से तालाब में मछलियों के लिए भोजन का निर्माण होता है। तालाब में पाए जाने वाले कीड़े-मकोड़े़ बत्तख का भोजन बनते हैं। बांध पर लगाई गई सब्जी फसल के पत्ते को भी मछलियों को खिलाया जाता है। इससे किसानों को मछली, बत्तख के अंडे, बत्तख के मांस और सब्जियों से आमदनी प्राप्त होती रहती है।

खबरें और भी हैं। इसे आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल dainikbharat24.com पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं। नोटिफिकेशन को अलाउ कर खबरों से अपडेट रह सकते हैं। सुविधा के अनुसार अन्‍य खबरें पढ़ सकते हैं।

आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल से फेसबुक, इंस्‍टाग्राम, x सहित अन्‍य सोशल मीडिया के साथ-साथ सीधे गूगल हिन्‍दी न्‍यूज पर भी जुड़ सकते हैं। यहां भी खबरें पढ़ सकते हैं। अपने सुझाव या खबरें हमें dainikbharat24@gmail.com पर भेजें।

हमसे इस लिंक से जुड़े
https://chat।whatsapp।com/DHjL9aXkzslLcQKk1LMRL8