झारखंड की दो बेटियां पूर्णिमा महतो और चामी मुर्मू पद्मश्री से सम्मानित

झारखंड
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रांची। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में सोमवार को आयोजित समारोह में झारखंड की दो बेटियों जमशेदपुर की पूर्णिमा महतो और सरायकेला की चामी मुर्मू को पद्मश्री से सम्मानित किया।

बता दें कि, पूर्णिमा महतो राष्ट्रीय तीरंदाजी कोच हैं। प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी पुरस्कृत हैं। चामी मुर्मू को लेडी टार्जन कहा जाता है। वे 30 लाख से अधिक पेड़ लगा चुकी हैं।

पद्मश्री पूर्णिमा महतो का जन्म 15 अगस्त 1976 को झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर में हुआ। उनकी तीरंदाजी यात्रा टाटा अकादमी से जुड़े एक संस्थान में प्रशिक्षण सत्र के साथ 10 वर्ष की उम्र में शुरू हुई थी। उस समय उनके पास घर में बना तीर-धनुष था। उन्हें परिवार का पूरा सहयोग मिला।

1987 में प्रशिक्षण के लिए वे जमशेदपुर के टाटा आर्चरी एकेडमी में शामिल हुईं। 1993 और 1998 के बीच कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। 1994 में पुणे में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में उन्‍होंने 6 स्वर्ण पदक जीते। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने तीरंदाजी (खेल) के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए झारखंड, जमशेदपुर की पूर्णिमा महतो को ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया।

तीरंदाजी में शानदार करियर के बाद जमशेदपुर की पूर्णिमा महतो ने अगली पीढ़ी के तीरंदाजों को तैयार करने के लिए प्रतिष्ठित कोच के रूप में शुरुआत की। 2000 के बाद उन्होंने दो दशक से अधिक समय शीर्ष तीरंदाजी प्रतिभाओं को संवारने में लगाया। डोला बनर्जी, दीपिका कुमारी, कोमालिका बारी, प्रणिता और भजन कौर जैसे प्रतिष्ठित तीरंदाजों को इन्होंने प्रशिक्षित किया है।