नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेहद भावुक होकर कहा, किसी पर अंगुली उठाने से पहले अपने गिरेबान में जरूर झांक लेना चाहिए। श्री सिंह ने एक न्यूज एजेंसी के साथ बातचीत में 1975 के आपातकाल की अनकही कहानी का खुलासा करते हुए कहा, आपातकाल के दौरान मुझे अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल नहीं दी गई थी। उन्होंने हमला करते हुए कहा, कांग्रेस हमें तानाशाह कहती है, कभी अपने गिरेबान पर झांककर नहीं देखा।
23 से 24 साल की उम्र में इमरजेंसी के दौरान गए थे जेल
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, मैं जिस समय जेल गया था, उस समय मेरी उम्र 23 से 24 साल रही होगी। 18 महीने मैं जेल में रहा। उन्हें 18 महीने के लिए जेल में इसलिए डाला गया, क्योंकि उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था। मैं उस समय शिक्षक के रूप में जेपी आंदोलन में शामिल हुआ था। हमलोग इमरजेंसी को लेकर आंदोलन करते थे, लोगों को जागरुक करते थे। लोगों को हमलोग बताते थे कि किस तरह से इमरजेंसी हमारे लिए घातक है। तानाशाह की परिचायक है, इसको हमलोग बताते थे।
नयी-नयी शादी हुई थी और जाना पड़ा था जेल
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, जिन लोगों ने तानाशाही दिखाते हुए देश में इमरजेंसी थोपी, वे लोग हमलोगों पर तानाशाही का आरोप लगाते हैं। राजनाथ सिंह से पूछा गया कि जब उन्हें गिरफ्तार किया गया, तो पूरे परिवार में हलचल मच गई होगी, तो उन्होंने कहा, कोई हलचल नहीं मची। मेरी नयी-नयी शादी हुई थी। मैं बाहर से काम कर लौटा ही था कि मुझे बताया गया कि पुलिस आई हुई है। मैंने उन्हें आदर सहित घर पर बुलाया और चाय पिलायी। आराम से स्नान करके उनके साथ गाड़ी में बैठकर चला गया। रात करीब 11 बजे हमलोगों को जेल भेज दिया गया। करीब ढाई महीने हम तीन लोगों को बिल्कुल अकेला रखा गया था। जेल के अंदर मैं जब इमरजेंसी के खिलाफ नारा लगाता था, तो दूसरे कंपाउंड में मौजूद लोग भी मेरे पीछे नारा लगाते थे। इमरजेंसी के दौरान बहुत सारे नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।
इमरजेंसी के दौरान जेल में मिलती थी ऐसी यातनाएं
राजनाथ सिंह ने इमरजेंसी के दौरान जेल के अंदर की कहानी सुनाई और बताया कि जब उन्हें अकेले रखा गया था, तो उन्हें कौन-कौन सुविधाएं दी जाती थीं। उन्होंने बताया, पढ़ने के लिए किताबें नहीं दी जाती थीं। पीतल के तसले में दाल दी जाती थी और हाथ पर रोटी। कुछ दिन के बाद मुझे नैनी जेल ट्रांसफर कर दिया गया।
मां ने कहा था, जो हो माफी मांगकर वापस मत आना
राजनाथ सिंह ने इमरजेंसी के दौर की कहानी सुनाते हुए कहा, जब मुझे भारी सुरक्षा के बीच नैनी जेल ले जाया जा रहा था, तब मुझसे मेरी मां ने कहा था कि चाहे जो भी हो जाए, माफी मांगकर वापस मत आना। मां की बात को सुनकर वहां मौजूद पुलिसवाले भी रोने लगे थे।
इमरजेंसी के दौरान राजनाथ सिंह जब जेल में बंद थे, तो उसी समय उनकी माता जी का निधन हो गया था। रक्षा मंत्री ने बताया, मेरी मां ने मेरे चचेरे भाई से पूछा कि मैं जेल से बाहर कब बाहर आऊंगा? तो मेरे भाई ने जैसे ही उन्हें बताया कि मेरी जेल की सजा को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। यह सुनते ही उनकी माता जी की तबीयत बिगड़ गई और निधन हो गया। ब्रेन हैम्ब्रेज के कारण उनका निधन हुआ।