बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान : विकसित भारत में पर्यटन, खाद्य और जल पर चर्चा

झारखंड
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रांची। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (मेसरा) के तत्‍वावधान में चल रहे ‘विकसित भारत 2024’ के दूसरे दिन पर्यटन, खाद्य और जल पर पैनल चर्चा हुई। पैनल में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन और गणित विभाग के छात्र शामिल थे। सत्र का संचालन होटल प्रबंधन और खानपान प्रौद्योगिकी के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव ने किया।

डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव ने भारत के प्राचीन विरासत पर बात की। पर्यटन उद्योग में निवेश करने की आवश्यकता और अपने भोजन और संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत पर चर्चा की। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने भोजन, संस्कृति और कला को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा की।

अगली पैनल वार्ता में विरासत और जीवंत संस्कृति पर चर्चा हुई। पैनल में वास्तुकला एवं योजना विभाग के छात्र शामिल थे। इस सत्र का संचालन वास्तुकला और योजना विभाग के सहायक प्रोफेसर वास्तुविद् अपूर्व आशीष और प्रबंधन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ सुजाता प्रियंबदा दाश ने किया।

उन्होंने मौजूदा संस्कृतियों और मूल्यों के संरक्षण तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता पर बात किया। उन्होंने भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत तथा पुराने मंदिरों और स्मारकों के रखरखाव पर चर्चा की।

इसके बाद खाद्य और पानी की गुणवत्ता में सुधार और डेटा साइंस और एआई पर पैनल वार्ता हुई जिसमें संस्थान के छात्रों और शिक्षकों ने चर्चा की।

क्रिएटिव आर्ट्स के छात्रों ने एक मनोरंजक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने विविध प्रतिभाएँ दिखाईं। उन्होंने ‘राग यमन’ और ‘राग भैरव’ के साथ शास्त्रीय संगीत का प्रदर्शन किया।

साथ ही, बांग्ला लोकगीत ‘रातेर बेलाए’, पंजाबी लोकगीत ‘जुत्ती कसूरी’, अरुणाचली लोकगीत ‘पोलो जे दोऊ लागे’, आसामी लोकगीत ‘फगुनेरो मोहाय’ और हिमाचली लोकगीत ‘माए नी मेरिए’ के साथ उन्होंने प्रसिद्ध गीत ‘सांसों की माला’ और ‘ज़मीन आसमान तुम्हारा भी’ प्रस्तुत किया। मृणाल पाठक के धन्यवाद किया।

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