योग गुरु बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफी, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के कड़े रूख के बाद पतंजलि ने माफी मांग ली है। भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में पतंजलि आयुर्वेद ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांग ली है।

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है।

एक संक्षिप्त हलफनामे में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उन्हें कंपनी के अपमानजनक वाक्यों वाले विज्ञापन पर खेद है। कोर्ट को दी गई अंडरटेकिंग में कंपनी और आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि दोबारा यह गलती नहीं करेंगे।

पतंजलि आयुर्वेद और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण ने गुमराह करने वाले भ्रामक दवा विज्ञापन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। इस माफीनामे में विज्ञापन को फिर से प्रसारित न करने का भी वादा किया गया है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कंपनी के मीडिया विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी। आचार्य ने कहा कि इसका उद्देश्य नागरिकों को पतंजलि के प्रोडक्ट का उपयोग कर स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था।

बताते चलें कि, अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को 2 अप्रैल 2024 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया था।

इस याचिका में बाबा रामदेव पर कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया गया था। बता दें कि, पतंजलि की ओर से जारी किए गए विज्ञापनों में बीपी, शुगर, अस्थमा और कई बीमारियों को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया गया है।

इससे पहले मंगलवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और बालकृष्ण को जारी किए गए अदालत के नोटिसों का जवाब दाखिल नहीं देने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

उन्हें नोटिस जारी कर पूछा गया था कि अदालत को दी गई अंडरटेकिंग का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए। पीठ ने रामदेव को भी नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए?

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को अपने उत्पादों के बारे में अदालत में दिए गए वादे और उनके औषधीय प्रभाव का दावा करने वाले बयानों के के लिए कड़ी फटकार लगाई थी। पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों में किसी भी दवा प्रणाली के खिलाफ कोई भी बयान देने से आगाह किया था।