नई दिल्ली। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही केंद्र की मोदी सरकार से तीन हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
बता दें कि, देशभर से नागरिकता संशोधन के खिलाफ दाखिल 200 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सीएए पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से नागरिकता कानून पर तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि नोटिफिकेशन पर रोक की मांग वाली याचिका पर जवाब देने के लिए उनको कितना समय चाहिए।
केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है। उन्होंने कहा कि याचिकाओं पर जवाब देने के लिए चार हफ्तों का समय चाहिए।
हालांकि, कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए केवल तीन हफ्ते का समय दिया है। अब केंद्र को 8 अप्रैल तक जवाब देना है और अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने समय दिए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को चार साल का समय हो गया है। अगर एक बार लोगों को नागरिकता मिल गई, तो फिर वापस करना मुश्किल होगा।
उन्होंने आगे कहा कि बाद में इन याचिकाओं का कोई भी फायदा नहीं रहेगा। साथ ही, कपिल सिब्बल ने मांग की इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी जाए।
वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से पेश दूसरे वकील इंदिरा जयसिंह ने सीएए पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि यह मामला बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए।
वहीं, सीजेआई ने कहा कि जवाब देने के लिए केंद्र को समय दिया जा सकता है। वह कुछ समय पाने के हकदार हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि 200 से ज्यादा याचिकाओं में से कितने मामलों में कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि असम के मामलों की सुनवाई अलग से की जाएगी। याचिकाकर्ताओं में से एक वकील ने कहा कि 6बी(4) कहता है कि नागरिकता संशोधन कानून असम के कुछ आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम पूरी तरह से बाहर हैं। वहीं, मुख्य न्यायधीश ने कहा कि पूरा राज्य बाहर नहीं है, बल्कि वो हिस्सा जो 6वीं अनुसूची में शामिल है, सिर्फ वही इससे बाहर है।