प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया सीसीएल की दो महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का लोकार्पण

झारखंड
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  • शिवपुर-टोरी रेल तिहरीकरण और नॉर्थ उरीमारी सीएचपी का किया उद्घाटन

रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीसीएल की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं का वर्चुअल रूप से 1 मार्च को उद्घाटन किया। इसमें ‘टोरी-शिवपुर रेल-लाइन तिहरीकरण’ और ‘नॉर्थ उरीमारी कोल हैंडलिंग प्लांट’ शामिल हैं। भारत सरकार के ‘पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान’ के सिद्धांत को कोयला क्षेत्र में समाहित करते हुए कोयला प्रेषण मे गति एवं पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बेहतर बनाने के लिए इन परियाजनाओं की शुरुआत की गयी है।

सीएमडी सहित ये अधिकारी मौजूद

इस अवसर पर परियोजना के उद्घाटन स्थल पर सीसीएल सीएमडी डॉ बी वीरा रेड्डी, निदेशक (बीडी) सीआईएल देवाशीष नंदा, परियोजना सलाहकार (कोयला मंत्रालय) आनंदजी प्रसाद, सीसीएल के निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्रा, निदेशक (कार्मिक) हर्ष नाथ मिश्र, निदेशक तक. (यो./परि.) बी साईराम, निदेशक (तक.) हरीश दुहान सहित क्षेत्रों के महाप्रबंधक, उच्च अधिकारी, श्रमिक एवं हितधारक उपस्थित थे।

कोयला भेजने की क्षमता में वृद्धि

टोरी-शिवपुर रेल-लाइन तिहरीकरण का काम पूर्व-मध्य रेलवे ने किया है। यह एक रेलवे समर्पित कॉरिडोर है, जिसका उपयोग कोयले भेजने के लिए की जानी है। इस परियोजना की लागत 894 करोड़ रुपये है। इसकी लंबाई 44.37 किलोमीटर है। इसमें 6 मध्यवर्ती रेलवे स्टेशन / साईडिंग हैं, इसमें बिराटोली, कुसुमाही, बालूमाथ, बुकरू, मनातू एवं फूल्बसिया हैं। टोरी-शिवपुर रेल-लाइन का दोहरीकरण पूर्व में मार्च, 2021 में किया गया था। यह रेलवे कॉरिडोर ना केवल सीसीएल की भिन्न परियोजनाओं की जरूरतों, अपितु भारत सरकार द्वारा आवंटित सरकारी एवं  प्राइवेट माइंस की प्रेषण आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा। इस परियोजना के शुरू हो जाने से वर्तमान मे प्रेषण क्षमता 40-45 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़कर 100 मिलियन टन प्रति वर्ष हो जाएगी।

कोयले की निकासी की व्यवस्था

दूसरी परियोजना कोयले को खदान से रेलवे साइडिंग तक के परिवहन से सम्बंधित है। फर्स्ट माइल रेलवे कनेक्टिविटी के अंतर्गत नॉर्थ उरीमारी कोल हैंडलिंग प्लांट, उरीमारी की खुली खदान से निकटतम रेलवे सर्किट तक कोयले की निकासी की आधुनिक व्यवस्था है। यहां से कोयले को देश भर के पावर प्‍लांटों और अन्य उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जायेगा। वर्तमान में इन खदानों से कोयला टीपर द्वारा सड़क मार्ग से नॉर्थ उरीमारी एवं सौंदा रेलवे साइडिंग तक लाया जाता है।

धूल और कार्बन उत्सर्जन में कमी

यह कोल हैंडलिंग प्लांट एक क्लोज्ड-लूप एवं पूर्ण यंत्रीकृत प्रणाली है, जो सड़क मार्ग से हो रहे परिवहन में अप्रत्याशित कमी करके कोयले के परिवहन में तेजी  लाएगी। इस संयंत्र में रिसीविंग हॉपर, क्रशर, 20,000 टन क्षमता के कोयला भंडारण बंकर और कन्वेयर बेल्ट सम्मिलित हैं। इनकी सहायता से कोयले को 4000 टन भंडारण क्षमता के साइलो बंकर द्वारा रेलवे वैगन में स्थानांतरित किया जाएगा। 7.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष क्षमता की इस परियोजना की लागत 292 करोड़ रुपये है। इसके शुरू होने से डीजल की खपत में भी कमी आएगी। साथ ही, धूल और वाहन जनित कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी आएगी।

रोजगार सृजन में बढ़ोतरी संभव

दोनों परियोजनाओं के आरम्भ होने से रोजगार सृजन में बढ़ोत्तरी एवं सम्बंधित क्षेत्रों का पूर्ण विकास संभव हो सकेगा। ये परियोजनाएं इस क्षेत्र के कोयला परिवहन, कोयले की निर्बाध आपूर्ति और ऊर्जा सुरक्षा में ‘गेम चेंजर’ साबित होंगे। सीसीएल परिवार अपने लक्ष्य ‘राष्ट्र के ऊर्जा प्रहरी’ को परिलक्षित करते हुए टीम भावना के साथ देश की प्रगति में ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति‍ के लिए अग्रसर रहेगी।

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