वित्‍त मंत्री से मिला झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन, इन मुद्दों पर चर्चा

झारखंड
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रांची। झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल वित्‍त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव से 6 मार्च को मिला। इसका नेतृत्‍व प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने किया। एसोसिएशन ने अपनी तीन मांगों को उनके समक्ष लिखित रूप से रखा। अपनी परेशानियों से उन्हें अवगत कराया।

एसोसिएश के पदधारियों ने कहा कि उन्हें बिक्री कर विभाग को रिटर्न देना पड़ता है। इसका असेसमेंट भी कराना पड़ता है, जबकि उनके आइटम टैक्स पेड होते हैं। इससे पंप संचालकों को परेशानी होती है। लुब्रिकेंट जीएसटी के दायरे में होते हैं। इसका रिटर्न पंप मालिक भरते है। पंप मालिकों से जीएसटी के अलावा बिक्री कर का भी रिटर्न भराया जाता है। वित्त मंत्री को बताया गया कि पड़ोसी राज्‍य बिहार ने कैबिनेट से इस आदेश को बदल दिया है। पेट्रोल पंप मालिकों को सेल टैक्स से मुक्त कर दिया है। इसपर वित्त मंत्री ने संबंधित अधिकारियों से बात की।

वित्त मंत्री से पंप मालिकों सरकारी राशि के बकाया का मामला उठाया। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के स्तर पर सभी जिलों को उनके डिमांड के अनुसार पैसा भेजे जा रहे हैं। उन्होंने संगठन से कहा कि अब तक की बकाया राशि की सूची उपलब्ध कराए। भुगतान उन्हें हर हाल में समय पर किया जाएगा।

वैट के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। डाटा खंगाले जा रहे हैं। संगठन ने बताया कि रघुवर सरकार ने 24 फरवरी, 2015 से वैट को बढ़ाकर 22 प्रतिशत कर दिया था। इसका नुकसान राज्य की जनता, पंप के मालिक और खुद राज्य सरकार भी उठा रही है। इसे संबंधित आंकड़े भी वित्त मंत्री के समक्ष रखे। बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में झारखंड में डीजल की बिक्री में 9% की कमी आई है।

एसोसिएशन ने दावा किया कि झारखंड में वैट 17% कर दिया जाए, तो बिक्री इतनी बढ़ जाएगी कि सरकार की राजस्व में भारी वृद्धि हो सकती है। संगठन इसकी गारंटी लेने को तैयार है। एसोसिएशन ने कहा कि अगर वैट में कमी हुई तो बड़े कंज्यूमर, आउट सोर्स कंपनियां झारखंड से खरीद करेगी। इससे झारखंड की बिक्री में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। सरकार को त्वरित लाभ होने लगेगा। राजस्व बढ़ जाएगा। अभी मुगलसराय और बंगाल से लगभग 26000 किलो लीटर प्रति महीने तेल आते हैं।

वित्त मंत्री को यह भी बताया गया कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में झारखंड में ही सबसे अधिक वैट है। झारखंड में वैट 22% या 12.50 रुपया प्रति लीटर, जो भी अधिक हो, लिया जाता है। इसके अलावे 1 रुपये प्रति लीटर सेस की भी वसूली की जाती है. जबकि बिहार में वैट की दर 16.37 प्रतिशत या 12.33 रुपए प्रति लीटर, जो अधिक हो, लिया जाता है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में 17.8% या 10.41 रुपया प्रति लीटर, जो अधिक हो लिया जाता है। पश्चिम बंगाल में 17% या 7.70 रुपए प्रति लीटर,जो अधिक हो, की दर से वैट की दर निर्धारित है।

पड़ोसी राज्यों में सस्ता होने के कारण झारखंड के वाहन अथवा बड़े कारोबारी भी पड़ोसी राज्यों से ही डीजल मंगाने में विशेष रूचि रखते हैं। नतीजा झारखंड में बिक्री कम हो जाती है। सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। अगर झारखंड में वैट की दर 17% कर दी जाए तो बिक्री बढ़ जाएगी। सरकार के राजस्व में अधिक वृद्धि होगी।

वित्त मंत्री ने भरोसा दिया है कि बहुत जल्द ही इस पर कोई सकारात्मक निर्णय ले लिया जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष के अलावा राजहंस मिश्रा, नीरज भट्टाचार्य, मासूम परवेज और अनूप संथालिया शामिल थे।

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