रांची के कांके डैम को मरते हुए देखना बेहद दुखद

झारखंड
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  • ब्रजेश वर्मा

रांची। मन को मोहने वाला रांची शहर के कांके डैम को अपनी मृत्यु की ओर जाते देखना काफी दुखद लगा। यह विशाल डैम अचानक से हरे पौधों का शिकार हो गया है। हजारों लोग जो हर रोज सुबह की सैर करने यहां आते हैं, उन्हें यकीन ही नहीं होता कि इस विशाल डैम में पानी की जगह सिर्फ हरी पत्तियां ही दिखाई दे रही हैं। शांत मन से किसी झील को देखना मन में जो शांति प्रदान करती है, अब उसे मरते हुए देखना और विचलित कर रहा है।

कांके डैम का जल शहर की एक बड़ी आबादी को वर्षों से जीवित रखे हुए है। एक बड़ा इलाका, जहां एक लाख से अधिक लोग रहते हैं, इसी झील के जल पर निर्भर हैं। किंतु जिस आकार में जलकुंभी के पौधों ने झील को अपने वश में किया है, उसे हटाना झारखंड सरकार के लिए बड़ी चुनौती हो गई है।

जानकारों का कहना है कि पानी पर पनपने वाले इन पौधों को एक दिन में जितना हटाया जा रहा है, दूसरे दिन वह उससे भी बड़ा आकार ले लेता है। जो लोग पौधों हटा कर झील के किनारे रख रहे हैं, वहां से भयानक दुर्गंध उठ रही है।

हालांकि वाटर फिल्टर प्लांट झील के पानी की हर रोज सफाई कर रहा है, किंतु बदबू  जा नहीं रही है। अंदेशा है कि यदि पानी और भी दूषित हुआ, तो इलाके की एक बड़ी आबादी बीमार पड़ सकती है।
इस झील में पलने वाली मछलियों का जीवन भी संकट में है, जिन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रहा। यहां से मछलियों का व्यापार भी ठप हो सकता है।

जो लोग हर रोज यहां घूमने आते हैं, उनका कहना है कि यह पहली बार हुआ है कि झील के पानी के ऊपर जलकुंभी के पौधे पूरी तरह से छा गए हैं और सफेद जल की जगह अब डैम हरा दिखता है।
यह सब राज्य में एक कमजोर सरकार की वजह से हुआ है।

पिछले चार वर्षों से यह देखने को मिला है कि कांके डैम के पास विशाल बागीचे में फूल के एक भी पौधे नहीं लगाए गए।  कभी यह बागीचा फूलों से लदा रहता था, अब नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है।  इसका सीधा असर उस झील पर पड़ा है, जिसे लोग जीवनदायनी मानते हैं।

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