- दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया का कांफ्रेंस शुरू
रांची। दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की वीमेन मेंबर्स एक्सीलेंस कमेटी, नई दिल्ली की द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए सीसीएल के कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस 16 मार्च से शुरू हुई। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि झारखंड हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने किया। उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं को मजबूत बनाने और समाज में उनके उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए काफी मजबूत कानून बने हुए है, लेकिन अशिक्षा और प्रचार के अभाव में इन कानूनों के बारे में जानकारी नहीं है। इसके कारण आज भी देश की अधिसंख्य महिलायें उत्पीड़ित हो रही है। अपने अधिकार से वंचित रह जाती है।
कांफ्रेंस के विशिष्ट अतिथि और सीसीएल के डायरेक्टर फाइनांस पवन मिश्रा ने बताया कि सीसीएल भी महिला सशक्तिकरण के लिए कृतसंकल्पित है। आज सीसीएल में भी ऊंचे पदों पर महिला कर्मी कार्यरत हैं।
एडिशनल अटॉर्नी जनरल अधिवक्ता दर्शना पोद्दार ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 पर जानकारी दी। बताया कि यह अधिनयम उन संस्थाओं में लागू होता है, जहां दस या दस से ज्यादा लोग कार्यरत होते हैं। यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता है। यौन उत्पीड़न के विभिन्न प्रकारों को चिह्नित करता है। यह बताता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की स्थिति में शिकायत किस प्रकार की जा सकती है।
इस क़ानून में यह ज़रूरी नहीं है कि जिस कार्यस्थल पर महिला का उत्पीड़न हुआ है, वह वहां नौकरी करती हो। शिकायत करते समय घटना को घटे तीन महीने से ज्यादा समय नहीं बीता हो और यदि एक से अधिक घटनाएं हुई है तो आखरी घटना की तारीख से तीन महीने तक का समय पीड़ित के पास है।
महिला पर्वतरोही श्रीमती प्रेमलता अग्रवाल ने बताया कि भारत जैसे देश में एक महिला का पर्वतरोही का होना सोचना ही मुश्किल था। यदि जब हम अपने सपने को साकार करने के लिए भरपूर मेहनत करते हैं, तब हमें हमारे परिवार और समाज का भी भरपूर सहयोग मिलता है।
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर शांतिशरी धूलिपुड़ी पंडित ने कहा कि कोई भी समाज या देश तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक उस देश और समाज में महिला व पुरुषों को बराबर अधिकार और अवसर प्राप्त नहीं हो। उन्होंने बताया कि आज देश में महिलाएं हर जगह नेतृत्व कर रही है।
आसाया की संस्थापिका सदस्य श्रीमती इति बियानी ने कहा कि कोई भी व्यवसाय को शुरू करने के लिए जोखिम लेने के साथ-साथ परफेक्शन और समाज की आवश्यकता की जानकारी होना आवश्यक है। अधिकतर घर महिलाणएं ही संभालती हैं। इस कारण उन्हें समाज की आवश्यकता और वास्तु की परफेक्शन की पुरुषों से बेहतर जानकारी होती है। व्यवसाय की दुनिया में भी महिलाएं अपने नेतृत्व क्षमता का भरपूर प्रदर्शन कर रही है।
कांफ्रेंस की चेयरपर्सन और रीजनल काउंसिल सदस्य सीए मनीषा बियानी ने कहा कि यह नेशनल कांफ्रेंस रांची में महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके माध्यम से हम रांची की महिला प्रोफेशनल्स, अपने-अपने प्रोफेशन में उन्हें और अधिक से अधिक आगे ले जाने पर विस्तृत परिचर्चा होगी।
इंस्टीट्यूट की रांची शाखा की चेयरपर्सन सीए श्रद्धा बगला ने स्वागत करते हुए कांफ्रेंस में महिला से जुड़े विषयों पर रखा गया है। सत्र की समाप्ति इंस्टीट्यूट की रांची शाखा के सचिव सीए हरेन्दर भारती के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। उद्घाटन सत्र में इंस्टीट्यूट की रांची शाखा के पूर्व अध्यक्ष सीए बिनोद बांका, सीए राजेंद्र बंसल, सीए परमानन्द दुबे, सीए महेन्दर जैन, सीए आर एन सुर, सीए जेपी शर्मा भी उपस्थित थे।
कांफ्रेंस के आयोजन में रांची शाखा के उपाध्यक्ष सीए उमेश कुमार, कोषाध्यक्ष सीए अभिषेक केडिया, सीपी कमेटी के अध्यक्ष निशांत मोदी, कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व अध्यक्ष सीए प्रभात कुमार, सीए पंकज मक्कड़, को -कन्वेनर सीए रुचिका पोद्दार, सीए कंचन माहेश्वरी, सीए ऋचा अग्रवाल, सीए अदिति पोद्दार, सीए सृष्टि सिंघानिया, सीए अंकित राजगारिया, सीए हर्षित गोयल, सीए रवि सामोता आदि का योगदान रहा।
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