- दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया का नेशनल कांफ्रेंस
रांची। कंपनी अधिनियम 2013 के तहत तीन सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक का कारोबार करने वाली सूचीबद्ध कंपनियों को अपने निदेशक मंडल में महिला निदेशक नियुक्त करना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर उस कंपनी पर आर्थिक दंड लग सकता है। आज बहुत सी कंपनियों में महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में काम कर रही हैं। उक्त बातें दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की वूमेन मेंबर्स एक्सीलेंस कमेटी की चेयरपर्सन सीए प्रीति सावला ने कही। वह कमेटी के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस के दूसरे दिन के पहले तकनीकी सत्र में 17 मार्च को बोल रही थी।
वूमेन मेंबर एक्सीलेंस कमेटी की वाईस चेयरपर्सन सीए केमिशा सोनी ने कहा कि आज के डिजिटल युग में महिला और पुरुष का भेद मिट चुका है। लगभग सभी काम कंप्यूटर में किए जा रहे हैं। असेसमेंट भी फेसलेस होने के कारण महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स घर या दफ्तर से आसानी से प्रोफेशनल्स की भूमिका निभा रही हैं। महिलाएं सीए इंस्टीट्यूट की नई पुस्तकों के लेखन या संपादन, रिसर्च में भाग लेकर, सीए परीक्षा में आब्जर्वर, कॉपी जांच करके, सॉफ्ट स्किल और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की फैकल्टी या अन्य कोर्स की फैकल्टी के रूप में अच्छी खासी आय प्राप्त कर सकती हैं।

दूसरे सत्र में रांची की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रश्मि सिंह ने सर्वाइकल कैंसर के बारे में बात की। कहा कि सर्वाइकल कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि है, जो गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होती है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय का निचला हिस्सा है, जो योनि से जुड़ता है। यह बीमारी भी असुरक्षित यौन सम्बन्ध के कारण फैलती है। मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव, दुर्गन्धयुक्त पानी या रक्त सामान्य से अधिक समय तक रहना, संभोग के दौरान पेल्विक दर्द और रक्तस्राव इसके प्रमुख लक्षण हैं। इस स्थिति में हमें तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
तीसरे सत्र में प्रख्यात लाइफ कोच और एनएलपी ट्रेनर श्रीमती श्रीजा झावर ने कहा कि प्रोफेशनल महिलाओं के लिए कार्य के साथ अपने जीवन में संतुलन स्थापित करने की बड़ी समस्या है। जब यह संतुलन बिगड़ जाता है तो मानसिक और शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं। इस कारण हमें अपने प्रोफेशनल कार्यों के साथ जीवन के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में संतुलन बनाना अति आवश्यक है।
अंतिम सत्र में गीतांजलि ग्रुप की निदेशिका श्रीमती शालिनी गुप्ता ने कहा कि हमें हर हाल में अपने देखभाल को अन्य कार्यों से ज्यादा महत्व देना जरूरी है। चाहे हम प्रोफेशनल्स हों, विद्यार्थी हों, कामकाजी हों या घरेलु कार्य करते हों। यदि हम खुद की देखभाल नहीं करेंगे तो कई तरह के रोगों से ग्रसित होकर अन्य कार्य भी नहीं कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि स्वंय की देखभाल के लिए हमें एक सप्ताहिक चार्ट बनाना चाहिए। अपने शरीर की साफ सफाई, अच्छी नींद, अच्छी डाइट, मनोरंजन आदि पर हमेशा ध्यान देनी चाहिए। अपनी चिकित्सीय आवश्यकता का ध्यान रखना भी है।
दूसरे दिन मंच का संचालन सीए हर्षित गोयल ने किया। कांफ्रेंस की समाप्ति पर इंस्टीट्यूट की रांची शाखा के सचिव सीए हरेन्दर भारती ने धन्यवाद दिया।
दूसरे दिन रीजनल काउंसिल सदस्य और कांफ्रेंस की चेयरपर्सन सीए मनीषा बियानी, रांची शाखा की चेयरपर्सन सीए श्रद्धा बगला, उपाध्यक्ष सीए उमेश कुमार, कोषाध्यक्ष सीए अभिषेक केडिया, सीपीइ कमेटी के अध्यक्ष सीए निशांत मोदी, कार्यकारिणी सदस्य सीए प्रभात कुमार, सीए पंकज मक्कड़, कांफ्रेंस के को-कन्वेनर सीए रुचिका पोद्दार, सीए कंचन माहेश्वरी, सीए अदिति पोद्दार, सीए ऋचा अग्रवाल, सीए सृस्टि सिंघानिया भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
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