चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स का अब नया डेटा किया साझा, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली देश
Spread the love

नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डेटा को लेकर राजनीतिक दलों के बीच हो रहे हंगामे के बीच बड़ी खबर आ रही है, सुप्रीम कोर्ट में सील्ड कवर लिफाफे में जमा डेटा को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया। ये वो आंकड़ा है, जो कल ही चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से मिला है।

सुप्रीम कोर्ट ने ये डेटा डिजिटल फॉर्मेट में अपने पास रख लिया है। चुनाव आयोग को यह लिस्ट नई जानकारी के साथ 17 मार्च शाम 5 बजे तक अपलोड करनी थी। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उसके पास डेटा की कॉपी नहीं है। इस मामले को लेकर शुक्रवार को आयोग की याचिका पर सुनवाई भी हुई थी।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने रजिस्ट्री को शाम 5 बजे तक डेटा डिजिटलाइज करने के बाद वापस लौटाने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट को यह डेटा साल 2019 और 2023 में दिया गया था। इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 2023 में सितंबर तक राजनीतिक पार्टियों को मिले चंदे की डिटेल मांगी थी। इससे पहले कोर्ट ने 2019 में भी फंड से जुड़ी जानकारी देने को कहा था।

अब तक यह साफ नहीं है कि यह डेटा 14 मार्च को इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेजों से कितना अलग है। आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की थी। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की जानकारी है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनाव आयोग को बॉन्ड से जुड़ी जानकारी दी थी। SBI ने इसमें यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स का खुलासा नहीं किया था। इससे यह जानकारी सामने नहीं आई पाई कि किसने किसे कितना चंदा दिया। इसे लेकर कोर्ट ने 15 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया और 18 मार्च तक जवाब देने को कहा है।

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 के बजट में उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश की थी। 2 जनवरी 2018 को मोदी सरकार ने इसे नोटिफाई किया। यह एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।